Hariyali Teej festival, when, why and how it is celebrated Teej in Hindi
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हरियाली तीज एक पारंपरिक हिंदू त्योहार है जो मानसून के मौसम के दौरान मनाया जाता है। इस त्यौहार का इतिहास भगवान शिव तथा माता पार्वती के विवाह के समय का है जब माता पार्वती ने हरतालिका तीज का व्रत करके भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त किया था। तभी से इस दिन को हिंदू धर्म में विशेष के नाम तीज के रूप में मनाया जाता है। तीज का त्यौहर विशेष रूप से राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार और हरियाणा राज्यों के साथ-साथ नेपाल के कुछ हिस्सों में भी मनाया जाता है। तीज का यह त्यौहर आमतौर पर श्रावण (सावन) (जुलाई-अगस्त) के महीने में आता है। तीज पर विवाहित कन्याओ तथा महिलाओं की कोथली देने का भी रिवाज होता है। रीति-रिवाज और परंपराएं अलग-अलग क्षेत्रों और समुदायों में भिन्न हो सकती हैं, इसलिए विशिष्ट अनुष्ठान और उत्सव थोड़े भिन्न हो सकते हैं। वर्ष 2023 में हरियाली तीज 19 अगस्त, शनिवार को मनाई जाएगी।
हरियाली तीज 2023 |
क्यों मनाई जाती है हरियाली तीज या हरतालिका तीज ?
(Teej kyon manae jaati hai)
यह त्योहार भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा को समर्पित है, जो पति और पत्नी के दिव्य मिलन का प्रतीक है। महिलाएं, विशेष रूप से विवाहित महिलाएं, अपने वैवाहिक आनंद और अपने पतियों की भलाई के लिए आशीर्वाद मांगने के लिए इस शुभ दिन पर एक दिन का उपवास रखती हैं। माना जाता है की इसी दिन (तीज) को माता पार्वती ने हरतालिका तीज का व्रत करके भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त किया था। तभी से इस दिन को हिंदू धर्म में विशेष के नाम तीज के रूप में मनाया जाता है।
तीज का त्यौहार कैसे मनाया जाता है।
(Teej kaise manayi jati hai ?)
इस दिन, महिलाएं जीवंत हरे रंग की पोशाक (हरियाली) के रूप में पहनती हैं और अपने हाथों में मेहंदी भी लगाती हैं। तीज का त्यौहर मनाने के लिए महिलाएँ पारंपरिक गीत, नृत्य और अन्य सांस्कृतिक गतिविधियाँ करते हैं। तीज के दिन सावन के झूले भी त्योहार का एक अभिन्न अंग हैं, क्योंकि महिलाएं समूहों में एक साथ झूलने का आनंद लेती हुई तीज के गीत गाती है ।
पुरे शिव परिवार की पूजा की जाती है
तीज के त्यौहार पर पूजा कार्यक्रम मंदिरों या घर पर होते हैं, जहां महिलाएं भगवान शिव और देवी पार्वती को प्रार्थना, फूल और फल चढ़ाती हैं। इस दिन भगवान शिव, माता पार्वती तथा श्री गणेश जी की पूजा की जाती है। कुछ महिलाएं शुद्धिकरण अनुष्ठान के प्रतीक के रूप में खुद को पानी में डुबकी लगाने के लिए नदियों या तालाबों में भी जाती हैं।
हरियाली तीज न केवल एक धार्मिक त्योहार है बल्कि मानसून के मौसम के दौरान प्रकृति की सुंदरता का उत्सव भी है। यह महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व रखता है, विवाहित जोड़ों के बीच बंधन को बढ़ावा देता है और समुदाय में महिलाओं के बीच एकता को बढ़ावा देता है।
तीज की कोथली देने की परंपरा
(kothali kise kahte hai)
कोथली क्या है ? (kothali kya hai )
कोथली भारत के कुछ राज्यों में निभाई जाने वाली रीती रिवाज या परंपरा है जिसमें किसी भी विवाहित स्त्री के मायके की तरफ से सावन के महीने में उसकी कोथली भेजी जाती है । इस कोथली में विवाहिता स्त्री के साथ साथ उसके पूरे ससुराल पक्ष के लोगो के लिए कपड़े तथा फल तथा कुछ विशेष तरह के मिठाई भेजी जाती है । कोथली की मिष्ठान्न में विशेष तौर पर घेवर, फिरनी, आटे के बिस्कुट, बताशे, मठरी (मठ्ठी) तथा अन्य कुछ मीठा भी भेजा जा सकता है ।
हर माता पिता अपनी बेटी या भाइयों द्वारा अपनी बहन की कोथली देने का यह रिवाज सावन महीने के शुरू होने से लेकर हरियाली तीज तक चलता है । इसका मतलब सावन महीने में तीज के त्यौहार तक किसी भी दिन कोथली भेजी जा सकती है।
पहली कोथली ससुराल से आती है ।
वैसे तो बहू की कोथली उसके मायके की तरफ से ही हर साल भेजी जाती है लेकिन विवाहित कन्या का पहला सावन आपने मायके में बिताने का रिवाज होता है इसलिए उसकी पहली कोथली उसके ससुराल की तरफ से उसके मायके में भेजी जाती है। केवल पहले कोथली ससुराल से मायके में भेजी जाती है उसके बाद हर साल मायके की तरफ से ही बेटी की कोथली भेजी जाती है।
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