वामन अवतार की पूर्ण कथा | भगवान विष्णु के दस अवतार
जब जब पृथ्वी पर असंतुलन पैदा होता है तब तब भगवान विष्णु किसी ना किसी अवतार में आकर संतुलन स्थापित करते हैं। पृथ्वी पर जीवन का संचालन करने के लिए भगवान विष्णु समय-समय पर अवतार लेते रहते हैं आज हम उनके ऐसे ही एक अद्भुत अवतार के बारे में आपको बताएंगे। वामन अवतार भगवान विष्णु के दस अवतारों में से पांचवे अवतार है। जिसमे वह बौने ब्राह्मण का रूप बनाकर राजा बलि से देवताओं की रक्षा करते है।
भगवान विष्णु के वामन अवतार की कहानी |
वामन अवतार की कहानी (VAMAN AVATAR'S STORY)
भगवान विष्णु के चौथे अवतार नरसिंह ने जब हिरण्य कश्यप नामक असुर का वध किया उसके बाद हिरण्य कश्यप का पुत्र प्रहलाद के पुत्र विरोचन से एक सुर का जन्म हुआ जिसका नाम बली रखा गया। राजा बलि प्रहलाद के पोते (पौत्र) थे और अत्यंत शक्तिशाली तथा महाप्रक्रामी राजा थे। अत्यंत बलशाली होने के साथ साथ वह भगवान विष्णु के अनन्य भक्त थे।
अन्य सभी असुरों की तरह ही राजा बलि ने भी इंद्रदेव को परास्त करके स्वर्ग लोक पर अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया। देवराज इंद्र राजा बलि को परास्त नहीं कर सकते थे इसलिए उन्होंने भगवान विष्णु से सहायता मांगी और वह उनके पास जाकर बोले। हे नारायण, राजा बलि ने स्वर्ग पर अधिकार कर लिया है और अब वह अपने तरीके से स्वर्ग का उपभोग कर रहा है। यदि स्वर्ग के अधिकारों का गलत तरीके से उपयोग किया जाएगा तो उससे अन्य सभी देवता गण अपना कर्तव्य नहीं निभा पाएंगे। जिस कारण पृथ्वी पर जीवन प्रभावित हो सकता है। इसीलिए आपको राजा बलि हमारी सहायता करनी होगी प्रभु। भगवान विष्णु इंद्रदेव की इस बात से सहमत होते हैं और वह उन्हें आश्वासन देते हैं कि वह राजा बलि को अवश्य रोकेंगे।
कब होगा भगवान विष्णु के कल्कि अवतार का जन्म
राजा बलि भले ही एक असुर था लेकिन वह त्रिदेवो का सम्मान करता था। राजा बलि महादानी थे क्योंकि कोई भी उनके दरबार से खाली हाथ लौट कर नहीं जाता था। राजा बलि को रोकने और उनके इसी दानवीरता की परीक्षा लेने के लिए भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया। वामन अवतार में भगवान विष्णु ने एक बोने ब्राह्मण का रूप धारण किया और राजा बलि के परिसर में आए । ब्राह्मणों को देखकर राजा बलि ने उनको प्रणाम किया और पूछा हे ब्राह्मण ' आपको क्या चाहिए।
तब वामन अवतार स्वरूप में भगवान विष्णु ने राजा बलि से कहा हे राजन ,मैंने सुना है कि आप बहुत बड़े दानी है और किसी भी याचक को आप खाली हाथ जाने नहीं देते। इसलिए मैं भी आपसे कुछ मांगने के लिए आया हूं। उसी समय असुरों के गुरु शुक्राचार्य भी वहीं पर उपस्थित थे। उन्हें अपनी शक्ति से ज्ञात हो जाता हैं कि बोने ब्राह्मण के रूप में स्वयं भगवान विष्णु राजा बलि को छलने आए है। शुक्राचार्य ने राजा बलि को सूचित करते हुए कहा कि वह इस ब्राह्मण को कुछ भी दान ना करें। लेकिन राजा बलि कहते हैं कि वह अपना प्रण नही छोड़ सकते । इसलिए राजा बलि बोने ब्राह्मण को कहते हैं कि "हे ब्राह्मण" बताइए आप क्या मांगने आए हैं मैं आपको अवश्य दूंगा।
तब भगवान विष्णु राजा बलि से केवल तीन पग भूमि मांगते हैं। राजा बलि उनकी इस मांग से आश्चर्य में पड़ जाते हैं लेकिन वह उन्हें तीन पग (पैर) भूमि देने का वचन दे देते हैं। जैसे ही राजा बलि ने ब्राह्मण को तीन पग भूमि दान देने का वचन दिया वैसे ही भगवान विष्णु ने अपना आकार बढ़ाना शुरू कर दिया। भगवान विष्णु ने अपना आकार इतना बड़ा कर लिया की उन्होंने अपने एक पग (पैर) में पूरी पृथ्वी तथा पाताल को नाप दिया। उसके बाद भगवान विष्णु ने अपने दूसरा पग (पैर) उठाया और उसमें सभी ग्रह नक्षत्र और पूरा ब्रह्मांड को माप दिया। भगवान विष्णु ने अपने दो पग में ही पूरी सृष्टि को नाप लिया था तो अब तीसरा पग रखने के लिए कोई भी स्थान शेष नहीं था तब वह राजा बलि को कहते हैं।
हे राजन ! मैंने अपने दो पग (पैरों) में ही पूरी सृष्टि को माप दिया है और वचन के मुताबिक आपने मुझे 3 पग रखने के भूमि प्रदान करने का वचन दिया है तो अब बताइए कि मैं अपना तीसरा पग (पैर) कहां रखूं। कुछ देर विचार करने के बाद राजा बलि ने कहा" हे ब्राहमण" आप अपना तीसरा पग (पैर) मेरे सर के ऊपर रखिए क्योंकि मेरे शरीर पर अभी भी मेरा अधिकार है। यह सुनकर भगवान विष्णु अपना तीसरा पग (पैर) राजा बलि के सर पर रख देते हैं पैर रखते ही राजा बलि धरती के निचले भाग पाताल में पहुंच जाते है।
इस तरह राजा बलि अपने वचन की पूर्ति करते हैं। राजा बलि की यह दानवीरता देखकर भगवान विष्णु अत्यंत प्रसन्न होते हैं और वह अपने वास्तविक दर्शन राजा बलि को देते है। इसी के साथ ही भगवान विष्णु राजा बलि को आशीर्वाद देते हैं कि वह लंबे समय तक पाताल लोक पर राज करेंगे।
भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार की कहानीभगवान विष्णु के नरसिंह अवतार तथा भक्त प्रहलाद की कहानी
बाबा खाटू श्याम कौन है। बाबा खाटू श्याम की कथा
भगवान शिव के अस्त्र जिनसे देवता भी डरते है
शेषनाग के अवतार लक्षमण का चरित्र वर्णन
क्या रावण की पुत्री थी देवी सीता
कौन है? किन्नरों के देवता अरावन (इरावन)
बाली कौन था | बाली और हनुमान का युद्ध क्यों हुआ था ?
0 टिप्पणियाँ
how can i help you