राम - रावण संवाद । राम - रावण प्रथम युद्ध । रावण लक्ष्मण युद्ध
रामायण सम्पूर्ण कहानी हिंदी में
Ram- Ravan Yudh in Hindi । Ravan- Lakshamn Yudh in Hindi
मकराक्ष का मृत शरीर देखकर रावण को बहुत ग्लानि महसूस होती है क्योंकि मकराक्ष की मृत्यु रावण के युद्ध में हुई थी और मकराक्ष रावण के भाई खर का पुत्र था इसलिए रावण यह सोच रहा था कि उसके युद्ध के कारण खर का पुत्र बलि चढ़ गया है। इसी कारण रावण स्वयं युद्ध में जाने का निश्चय करता है और कहता है कि यह मेरा युद्ध है और इस युद्ध को मैं स्वयं ही समाप्त करूँगा।
आज मैं स्वयं रणभूमि में जाकर युद्ध को समाप्त कर दूंगा अगर यह युद्ध लंबा चला तो यह लंका के हित में नहीं है। रावण की यह घोषणा सुनकर उसका पुत्र इंद्रजीत स्वयं युद्ध में जाने की बात कहता है लेकिन रावण उसे भी नकार देता है और कहता है कि यह मेरी लड़ाई है इसलिए सबसे पहले मुझे ही सामना करना पड़ेगा। क्रोध के वश में रावण अपने सेनापति को आदेश देता है कि मेरे साथ सेना को युद्ध में जाने के लिए तैयार करो।
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राम - रावण प्रथम युद्ध |
रावण सुग्रीव संवाद
सेना के एक नई टुकड़ी को साथ लेकर लंकापति रावण बाहर युद्ध भूमि में आता है और आते ही गरजता हुआ अपने धनुष की प्रत्यंचा खींचता है । रावण के धनुष की प्रत्यंचा के डंकार से आसमान में बिजली कड़कने लगती है। गरजता हुआ रावण राम को युद्ध के लिए ललकारने लगता है और पूछता है कहां है राम ? आज उसकी मृत्यु मेरे हाथों निश्चित है। यह सुनकर वानर राज सुग्रीव रावण के सामने आते हैं और उसे बोलते हैं, "हे रावण" तुम जैसा दुराचारी और पापी श्री राम प्रभु के दर्शन के लायक नहीं है इसलिए उनसे युद्ध करने से पहले तुम हम से युद्ध करो क्योंकि तुम्हारे कार्य तो इस लायक भी नहीं है कि तुम प्रभु श्री राम के हाथों दंड पा सको। यह कार्य भी मुझको ही करना पड़ेगा।
रावण - सुग्रीव युद्ध
यह कहकर सुग्रीव और रावण में युद्ध शुरू हो जाता है। सुग्रीव रावण पर अपनी गदा से प्रहार करता है लेकिन रावण बहुत ही सहज तरीके से उसके गदा के प्रभाव को निष्फल कर देता है। तब रावण अपनी शक्ति से सुग्रीव पर प्रहार करता है और वह रावण के रथ से दूर जाकर कितना है। सुग्रीव जब भूमि पर गिरे हुए थे तब रावण उनपर तीर चलाता है लेकिन उसी समय लक्ष्मण जी आकर अपने बाण से रावण के बाण को काट देते हैं। रावण को फटकारते हुए लक्ष्मण जी कहते हैं, एक मूर्छित पर तीर चलाना किसी योद्धा का काम नहीं है। हे रावण", तुम इतने शक्तिशाली होते हुए भी एक कमजोर की तरह युद्ध करते हो और एक मूर्छित पर प्रहार करते हो। लक्ष्मण जी की बातें सुनकर रावण उनकी इस तरह की बातों की हंसी उड़ाने लगता है और बोलते हैं कि, वनवासी छोकरे , ये धर्म और नीति तुम जैसे साधारण मानव की बातें हैं,, मेरे जैसा शक्तिशाली राजा जो करता है वही धर्म है।
रावण लक्ष्मण युद्ध
तब लक्ष्मण जी रावण को जवाब देते हैं कि तुम सही कहते हो कि धर्म, सदाचार और नीति आदि मनुष्य के गुण हैं लेकिन तुम एक मनुष्य नहीं बल्कि एक पापी असुर और एक लंपक दुराचारी हो जिसे किसी भी चीज का ज्ञान नहीं। लक्ष्मण की इस बात को रावण अपना अपमान समझता है और उस पर घातक बाण चलाता है। रावण के तीर के जवाब में लक्ष्मण जी भी अपने बाण चलाते हैं और दोनों में युद्ध आरंभ हो जाता है। कुछ ही समय बाद रावण लक्ष्मण पर भारी पड़ने लगता है और रावण अपने जहरीले अस्त्र द्वारा लक्ष्मण जी को मूर्छित कर देता है। लक्ष्मण जी के मूर्छित होते ही अंगद और जामवंत उन्हें वहां से लेकर जाने लगते हैं, तभी रावण मूर्छित हुए लक्ष्मण पर भी बाण चलाने की कोशिश करता है। लेकिन बजरंगबली हनुमान रावण के सामने आ जाते हैं और उस पर प्रहार करते हैं।
राम - रावण संवाद । राम - रावण प्रथम युद्ध
रावण तथा हनुमान जी के बीच युद्ध आरंभ होने ही वाला था कि तभी श्री राम वहां पर आ जाते हैं और बोलते हैं। " वाह रावण वाह " तुम महादेव के समान शक्तिशाली महाबली हनुमान के सामने टिक पा रहे हो तुम वाकई में परम शक्तिशाली हो लेकिन अपने कुछ कर्मों की वजह से तुम्हारे अंदर अहंकार और अज्ञानता आ चुकी है जोकि बहुत जल्द तुम्हारे विनाश का कारण बनेगी। शक्तियों तथा देवताओं से मिले मरदानो का दुरुपयोग करके इतने अहंकारी हो गए हो कि तुम्हें धर्म और अधर्म में भी अंतर नजर नहीं आता।
श्रीराम के मुख से ऐसी मर्यादा भरी बातें सुनकर रावण जोर-जोर से हंसने लगता है और बोलता है। "अरे बनवासी राम " मैंने तो सोचा था कि तुम कोई बहुत बड़े योद्धा होंगे जो कि मुझसे रणभूमि में आते ही युद्ध करोगे, लेकिन तुम तो बातों से मुझे कोई साधु, संत या कोई उपदेशक लगते हो। अगर तुम इतने ही शक्तिशाली या धनुर्धारी हो तो आओ और मुझ से युद्ध करो, आज मैं तुम्हारी सारी गलतफहमियां दूर कर दूंगा। रावण बोलता है, आज इस युद्ध को यहीं पर विराम लगाने के लिए ही मैं युद्ध भूमि में आया हूं। ये रणभूमि है यहाँ उपदेश नहीं युद्ध किया जाता है। अगर तुम्हारे अंदर साहस है तो मेरा सामना करो। यहाँ सवाल भी बाण करेंगे और उत्तर भी बाण ही देंगे। यह कहकर रावण श्रीराम पर बाण चला देता है। श्रीराम भी बड़े ही सहजता से उसके बाण का उत्तर देते हैं। श्री राम एक-एक करके रावण के हर अस्त्र-शस्त्र को निष्फल कर रहे थे। श्रीराम पहले रावण का धनुष काट देते हैं। धनुष कटने के बाद रावण अपनी चंद्रहास तलवार उठाता है जोकी उसे भगवान शिव ने दी थी। लेकिन श्रीराम अपने एक साधारण बाण से उस तलवार को भी काट देते हैं जिसे देखकर रावण अचंभित होता है। श्रीराम फिर अपने एक बाण से रावण के रथ पर लगा ध्वज भी काट देते हैं और रावण को निहत्था कर देते हैं। रावण को पूरी तरह निहत्था करने के बाद श्री राम रावण को अंतिम चेतावनी और संदेश देते है और बोलते हैं।
हे रावण, " तुम जिस शक्ति का अहंकार करते हो आज उसका परिणाम देख चुके हो। इस वक्त तुम मेरे सामने केवल इसीलिए जीवित खड़े हो क्योंकि मेरे रघुवंश में किसी निहत्थे पर वार नहीं किया जाता। तुम आज केवल अपने शत्रु की दया के कारण जीवित हो । जाओ और आपने घाव भरो क्योंकि अगली बार तुम्हें क्षमा नहीं किया जाएगा। मैं तुम्हारे समस्त पापों का दंड देने के लिए आया हूं और देकर जाऊंगा। श्री राम के हाथों निहत्था होकर और जीवनदान पाकर रावण शर्मसार हो जाता है और अपने रथ से उतर कर पैदल लंका की तरफ चल पड़ता है उसकी सेना भी पीछे पीछे चली जाती है जिसके साथ ही पहले दिन का युद्ध समाप्त हो जाता है।
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