शनिदेव और भगवान शिव की कथा
सूर्यदेव पुत्र शनि देव के बारे में तो आप सब जानते ही होंगे जिनको कर्म फल दाता कहा जाता है। शनि देव मनुष्य के कर्मों का हिसाब रखते हैं। वे हर मनुष्य के उसके अच्छे और बुरे कर्मों का फल देते हैं । जो इंसान अच्छे कर्म करता है शनि देव की कृपा दृष्टि उस पर बनी रहती है तथा वे उसे धन-धान्य से परिपूर्ण कर देते हैं। लेकिन जो व्यक्ति बुरे कर्म करता है और शनि देव की वक्र दृष्टि के सामने आ जाता है वहां उसे बिल्कुल कंगाल कर देते हैं। आज हम आपको उन्हीं शनि देव की ऐसी कथा के बारे में बताने जा रहे हैं जिसमे उनकी वक्र दृष्टि की शक्ति को बताया गया है । स्वयं भगवान शिव भी उनकी वक्र दृष्टि से नहीं बच पाए थे।
शनि देव और भगवान शिव की एक कथा स्कंद पुराण में वर्णित है । जिस के अनुसार एक बार शनि देव कैलाश पर्वत पर पहुंचते हैं और भगवान शिव को प्रणाम करके कहते हैं, हे महादेव, कल से मैं आपकी राशि में प्रवेश करने जा रहा हूं और मेरी वक्र दृष्टि आप पर कल से रहेगी ।
हाथी क्यों बने भगवान शिव
शनि देव की यह बात सुनकर भगवान शिव थोड़े से सतर्क होते हुए कहते हैं, कि हे शनिदेव, कृपया मुझे बताइए कि आपकी वक्र दृष्टि मुझ पर कितने समय तक रहेगी, ताकि मैं आपकी वक्र दृष्टि से बचने का उपाय खोज सकूं। तब शनि देव कहते हैं कि हे महादेव, यह तो आप भी जानते हैं । मेरी वक्र दृष्टि से आज तक कोई भी नहीं बच पाया है, लेकिन अगर आप जानना चाहते हैं तो मैं बता देता हूं कि मेरी वक्र दृष्टि आप पर कल एक सवा प्रहर के लिए रहेगी।
यह कहकर शनिदेव वापस चले जाते हैं। उनके जाने के बाद भगवान शिव खुद को शनिदेव की वक्र दृष्टि से बचाने के लिए अगला दिन शुरू होने से पहले ही एक हाथी का रूप धारण कर लेते हैं, और पृथ्वी पर जाकर घूमने लगते है। पूरा 1 दिन व्यतीत हो जाने के बाद भगवान शिव वापस अपने वास्तविक रूप में आ जाते हैं, और कैलाश पर्वत की तरफ वापस चले आते हैं। भगवान शिव कैलाश पर आए तब वहां पर शनि देव पहले से ही कैलाश पर पहुंचकर उनका इंतजार कर रहे थे। भगवान शिव को आता देखकर शनिदेव ने उनको प्रणाम किया उनको देखकर भगवान से मुस्कुराए और बोले हे शनिदेव, देखिए आपकी वक्र दृष्टि का मुझ पर कोई भी प्रभाव नहीं पड़ा।
भगवान शिव गया बात सुनकर शनि देव उसे कहते हैं कि महादेव आप पर मेरी वक्र दृष्टि का प्रभाव हो चुका है। शनि देव महादेव को बताते हैं की आपको एक दिन तक देव योनि छोड़कर पशु योनि में रहना पड़ा, यह मेरी वक्र दृष्टि के प्रभाव के कारण ही संभव हुआ है। शनि देव की है बात सुनकर भगवान शिव समझ जाते हैं कि शनि देव की वक्र दृष्टि से बच पाना वास्तव में ही किसी के लिए संभव नहीं है, अपनी बात साबित करने पर भगवान शिव शनिदेव से प्रसन्न हो जाते हैं, और उनको सभी देवताओं से अधिक शक्तिशाली होने का वरदान देते हैं।
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