कलियुग में तीन महाशक्तियां है जिन्हे जागृत देव कहा जाता है
सनातन धर्म की मान्यताओं के अनुसार कलियुग में ऐसी तीन महाशक्तियां है जिन्हे जागृत देव या जागृत शक्तियां भी कहा जाता है , माना जाता है की ये तीन देवता तुरंत अपने भक्तो के दुखो को हर लेते है तथा उनकी सभी मनोकामनाओं को पूरा करते है, कलयुग के तीन जागृत देव कौन है:-
कलयुग के तीन जागृत देव |
काल भैरव
कलयुग के पहले जागृत देव काल भैरव है। महा पुराणों के अनुसार माना जाता है कि सृष्टि के निर्माण से पहले के समय भगवान नारायण और ब्रह्मदेव की उत्पत्ति हुई तब ब्रह्मदेव को इस बात का अहंकार उत्पन्न हो जाता है की वह त्रिदेवों में सबसे श्रेष्ठ है। तब ब्रह्मदेव के अहंकार के रूप में ब्रह्मदेव का पांचवा सर उत्पन्न हो जाता है। यह देखकर भगवान शिव को क्रोध आ जाता है और उनके प्रचंड तेजपुंज से काल भैरव का जन्म होता है। काल भैरव ने ब्रह्मदेव का अहंकार रूपी पांचवा सर काट दिया, लेकिन उस वजह से काल भैरव पर ब्रहम हत्या का पाप लग गया। काल भैरव ब्रह्मदेव के उस कटे हुए शीश को लेकर बहुत से तीर्थ स्थानों पर घूमते रहे लेकिन उन्हें ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति नहीं मिलति। अंत में जब काल भैरव काशी पहुंचे तो तब वहां पर उन्हें ब्रहम हत्या के पाप से मुक्ति मिल जाती है और हमेशा के लिए काल भैरव काशी में ही स्थित हो जाते है। काल भैरव अपने भक्तों के सभी पाप हर लेते है तथा उनके अहंकार को नष्ट कर देते है ।
माता काली
कलयुग की दूसरी जागृत महाशक्ति माता काली है। माता काली माँ दुर्गा का विकराल तथा प्रचंड स्वरुप है जिसमे वे दुष्टों का नाश करती है, उनका स्वभाव अत्यंत क्रोधित और प्रचंड है, यह माँ दुर्गा का सातवां स्वरुप है जिनकी पूजा शुक्रवार को होती है, माता काली का स्वरुप बहुत अलग है, काला रंग, खुले केश, आठ भुजाएँ, रक्त से सना हुआ फरसा, गले में मुंड माला, रक्त की प्यासी जुबान, तन पर जानवर की खाल, और हाथ में दुष्टो का रक्त पीने के लिए एक पात्र ही माता काली का स्वरुप की पहचान है, माता काली का क्रोध इतना प्रचंड होता है की उनके क्रोध को शांत करने के लिए एक बार स्वयं भगवान शिव को उनका पैर अपने वक्ष पर रखवाना पड़ा था तथा एक बार माता काली का क्रोध शांत करने के लिए भगवान शिव को बटुक अवतार लेना पड़ा था, माता काली का दिन अमावश्या कहलाता है, माता काली के चार रूप है दक्षिण काली, श्मशान काली, मातृ काली तथा तथा महाकाली, माता काली की उपासना जीवन में सुख, शान्ति, शक्ति तथा विद्या देने वाली बताई गई है।
बजरंगबली हनुमान
कलियुग की तीसरी जागृत महाशक्ति है बजरंगबली हनुमान। हनुमान जी भगवान शिव के ग्यारहवें रूद्र अवतार थे, जिन्होंने वानर केसरी की पत्नी अंजनी के गर्भ से जन्म लिया था। हनुमान जी को संकटमोचन, वायुपुत्र, महावीर और मारुति भी कहा जाता है। वे भगवान श्रीराम के महान भक्त थे। वह इतने अधिक शक्तिशाली थे जिन्होंने बचपन में ही सूर्य को फल समझकर निगल लिया था और अपने विशाल रूप दिखाकर अपनी भक्ति और शक्ति का प्रमाण दिया। हनुमान जी को को वीरता, साहस, विश्वास और भक्ति का प्रतीक माना जाता है। हनुमान जी ने चार सौ योजन का समुन्द्र लाँघ कर सीता माता की खोज की थी, उनकी श्रीराम के प्रति भक्ति को देखकर माता सीता ने उनको चिरंजीवी होने का वरदान दिया था। उन्होंने अपनी पूंछ से रावण की लंका को जला दिया था। उन्होंने बहुत से दुष्टो का संहार किया तथा राम रावण युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हनुमान जी अमर है तथा आज भी जीवित है।
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