श्रीराम का वनवास । राम वन गमन । Ram Vanvas Story in Hindi

श्रीराम का वनवास । राम वन गमन । Ram Vanvas Story in Hindi

राम वन गमन की कथा । श्री राम के वनवास की कहानी 

Ram ka Vanvas ki kahani । Ram Vanvas Story in Hindi

अपने चारों पुत्रों के विवाह के पश्चात राजा दशरथ का एकमात्र सपना था कि वह अपने जेष्ठ पुत्र राम को अयोध्या नगरी का राजा बनाए। इसलिए राजा दशरथ ने अपने कुल गुरु वशिष्ठ से विमर्श करके राम का राज्याभिषेक निश्चित किया। राम के राज्याभिषेक के लिए तैयारियां शुरू कर दी गई तथा पूरी अयोध्या नगरी की जनता अपने नए राजा को पाने के लिए उत्साहित थे। श्री राम हमेशा से ही जनता तथा अपने परिवार जन के प्यारे थे। 


श्रीराम का वनवास
राम वन गमन

लेकिन शायद नियति को कुछ और ही मंजूर था जिस वजह से राम की सौतेली माता राजा दशरथ की दूसरी पत्नी महारानी केकई की दासी मंथरा ने उनको उकसाया। मंथरा ने रानी कैकई के मन में यह भ्रम पैदा किया कि राजा दशरथ उनके पुत्र भरत को ननिहाल भेज कर श्री राम को राजा बनाने के प्रयत्न कर रहे हैं। तब मंथरा ने कि वह राम की जगह अपने पुत्र भरत को अयोध्या का राजा बनाए। तुम्हारे पास अभी भी समय है तुम चाहो तो राम की स्थान पर अपने पुत्र भरत को अयोध्या का राजा बना सकती हो। 

रानी कैकई के दो वचन

तब रानी कैकई को राजा दशरथ द्वारा दिए गए दो वरदान का स्मरण हो आया जो उन्होंने देवासुर संग्राम में रानी केकई को उनके युद्ध में साथ देने के लिए दिए थे। तब रानी कैकई ने राजा दशरथ को बोला कि वह समय आने पर अपने दोनों वरदान उनसे मांग लेंगी। तब रानी कैकई ने मंथरा के कुविचारों से भ्रमित होकर राजा दशरथ से अपने दोनो वर मांगती है जिसमें वह पहले वरदान में यह मांगती है कि राम को 14 वर्ष का वनवास दिया जाए। जिसमें राम 14 बरस तक वन में रहेगा और राज्य की किसी भी वस्तु का उपयोग नहीं कर सकेगा। दूसरे वचन में रानी कैकई राजा दशरथ से अपने पुत्र भरत को अयोध्या का राजा बनाने की मांग करती है।

रानी कैकई के यह दोनों वचन सुनकर राजा दशरथ को सदमा लगता है और वह बेजुबान हो जाते है। जब राजा दशरथ के इस स्थिति का पता श्री राम को चलता है तो वह अपने पिता के पास जाकर उनके इस रवैया का कारण पूछते हैं। उस समय राजा दशरथ रानी कैकई के भवन में ही होते हैं। बहुत देर तक जब राजा दशरथ कुछ बोल नहीं पाते तब रानी कैकई ही श्री राम को अपने दोनों वचनों के बारे में बताती है। रानी कैकई के दोनों वचन सुनकर श्रीराम सहर्ष उनके दोनो वचनों को स्वीकार करते है। 

अगले ही दिन जब राम के वनवास की खबर नगर में फैलती है तो पूरे नगर में बगावत जैसे स्वर फूटने लगते है। देवी सीता अपने पति श्रीराम के साथ वनवास पर जाने का निश्चय करती  है। जब लक्ष्मण जी को यह सूचना मिलती है तो वह राजा दशरथ पर क्रोधित होते है लेकिन श्रीराम के समझाने पर वह शांत हो जाते है। लक्ष्मण अपने भैया राम से बहुत स्नेह करते थे इसलिए वे भी श्रीराम के साथ वनवास पर चले जाते है।

अयोध्या नगरी के लोग अपने श्रीराम के वनवास पर उनके साथ जाने की इच्छा प्रकट करते है लेकिन श्रीराम उन्हें नदी के किनारे पर छोड़कर आर्य सुमंत के साथ अधेरे में ही चले जाते है । वन पहुंचने के बाद श्रीराम सबसे पहले अपने मित्र निषादराज के पास पहुंचते है एक दिन उनके पास बिताकर वह लक्ष्मण और सीता के साथ 14 वर्ष के वनवास पर निकल जाते है।

श्रीराम के पिता दशरथ की मृत्यु

श्रीराम के वनवास जाने के कुछ की दिनों के बाद उनके पिता राजा दशरथ अपने पुत्र राम के वियोग में अपने प्राण त्यागकर स्वर्ग सिधार जाते है।

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1 टिप्पणियाँ

  1. इन प्रसंगों में जो वर मांगने संबंधी चौपाई है उन्हे भी साथ में उद्द्हत करना उचित होगा ,, महत्त्वपूर्ण चौपाइयां सभी प्रसंगों में,, (7999133987)। 🌹🌹🙏🙏

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