सूर्पनखा की नाक कटना तथा खर-दूषण का वध (रामायण)। Khar Dushan Vadh Story in Hindi (Ramayan)

सूर्पनखा की नाक कटना तथा खर-दूषण का वध (रामायण)। Khar Dushan Vadh Story in Hindi (Ramayan)

सूर्पनखा की नाक कटना | खर-दूषण का वध (रामायण)

Khar Dushan Vadh Story in Hindi- Ramayan) Surpanakha story in Hindi
दंडक वन 

अपने वनवास के अंतिम वर्षों में श्री राम, लक्ष्मण और सीता दंडक वन में गोदावरी नदी के किनारे पर पंचवटी स्थान पर अपने रहने के लिए कुटिया बनाते हैं। और वहीं पर अपने वनवास का बाकी समय बिताते है। एक बार जब श्रीराम अपने आंगन में बैठे ध्यान कर रहे थे तब सूर्पनखा नामक राक्षसी वहां पर आ जाती है। सुपनखा वास्तव में लंकापति रावण की बहन थी। सूर्पनखा ध्यान में बैठे श्री राम के सुंदर स्वरूप को देखकर उन पर मोहित हो जाती हैं । वह एक सुंदर रूपवती नारी का रूप धारण करके श्री राम के पास पहुंचकर उनसे विवाह का प्रस्ताव रखती है। तब श्री राम बड़े ही विनम्र भाव से उसके प्रस्ताव को अस्वीकार कर देते हैं और कहते हैं कि वह अपनी पत्नी सीता को आजीवन एक विवाह में रहने का वचन दे चुके हैं। उस समय लक्ष्मण जी वन से लकड़ियां एकत्रित करने के लिए गए हुए थे और वह भी आ जाते हैं जिन्हें देखकर शूर्पणखा एक बार उन पर भी मोहित हो जाती है। शूर्पणखा ने अपने साथ विवाह का वही प्रस्ताव लक्ष्मण जी के समक्ष भी रखा। तब लक्ष्मण जी उनको बोलते हैं कि उनके बड़े भाई श्री राम के होते हुए वह उन के योग्य नहीं हैं।  
सूर्पनखा

सूर्पनखा की नाक कटना

जब श्री राम और लक्ष्मण दोनों सूर्पनखा के विवाह प्रस्ताव को इंकार कर देते हैं तो सूर्पनखा को क्रोध आ जाता है। और तभी देवी सीता भी कुटिया के अंदर से बाहर निकल कर आती हैं। सीता को देखकर सूर्पनखा श्रीराम को कहती है कि तुम इस औरत के कारण ही मुझे नकार रहे हो, इसलिए मैं तुम्हारी पत्नी को ही खा जाती हूं। यह कह कर क्रोध में सुपनखा माता सीता की तरफ बढ़ती है तभी श्री राम लक्ष्मण को आज्ञा देते हैं और लक्ष्मण जी अपनी तलवार निकालकर सूर्पनखा की नाक पर वार करते है। लक्ष्मण जी के तलवार के वार से सुपनखा की नाक कट जाती है और वह रोते हुए वहां से चली जाती है।

खर दूषण का दरबार

अपने कटी हुई नाक को लेकर सुपनखा अपने भाई और दंडक वन के उस समय के असुर राजा खर के पास पहुंचती है। अपने भाई खर और दूषण के पास पहुंचकर सूर्पनखा न्याय की दुहाई देते हुए रोने लगती है। अपनी बहन को रोता हुआ देखकर राजा कर पूछते हैं कि उसकी यह दशा किसने की है। तब सूर्पनखा रोते हुए खर को बताती है कि श्री राम और लक्ष्मण नाम के दो युवक गोदावरी नदी के किनारे अपनी कुटिया बनाकर वहां पर रहने आए हैं, उन्होंने मुझे अकेली पाकर मेरा अपमान करने की कोशिश की। इसलिए आप वहां जाकर उन दोनों से मेरे अपमान का बदला लीजिए। उनके साथ एक सुंदर नारी भी है जोकि राम की पत्नी है।

अपने बहन के अपमान का बदला लेने के लिए खर और दूषण अपने 14 राक्षसों को एक साथ भेज देते हैं और कहते हैं कि जाओ और पंचवटी में बनी हुई कुटिया का तिनका तिनका बिखेर डालो और उजाड़ दो। असुर खर के  14 सैनिक एक साथ पंचवटी की तरफ जाते हैं वहां श्रीराम पहले से ही उनका इंतजार कर रहे थे। क्योंकि उन्हें अंदाजा था कि सूर्पनखा अपने अपमान का बदला लेने के लिए अवश्य किसी ना किसी को भेजेगी। चौदह असुर एक कतार में उनके सामने आकर बोले कि दंडक वन के राजा खर ने का आदेश दिया है कि तुम दोनों भाई हमारे राजा की शरण में खुद को समर्पित कर दो तथा तुम्हारे साथ जो सुंदर औरत है उसे हमारे राजा की सेवा में उपस्थित करो। उनके यह बातें सुनकर श्रीराम ने अपने धनुष पर एक बाण साधकर उनकी तरफ छोड़ा और एक ही बाण से उन सभी असुरों का सर धड़ से अलग हो गया जिसे देखकर सूर्पनखा चौक गई और फिर अपने भाई खर दूषण के दरबार में आ पहुंची और बोली।

खर और दूषण का वध

रक्षा कीजिए भैया रक्षा कीजिए आपके भेजे हुए 14 असुरों को उस राम ने अपने की बाण से मार डाला। यह सुनकर खर दूषण समझ जाते हैं कि श्री राम लक्ष्मण कोई साधारण मानव नहीं है और वह अपनी सेना लेकर खुद ही श्री राम लक्ष्मण से युद्ध करने के लिए चल पड़ते हैं। पंचवटी पहुंचने के बाद खर दूषण श्री राम लक्ष्मण को ललकार ते हैं। कुछ समय तक युद्ध होने के पश्चात ऋषि अगस्त प्रकट होते हैं और श्री राम को बोलते हैं कि खर दूषण परम मायावी राक्षस है इसलिए आप अपने दिव्यास्त्रों में से मन मोहिनी अस्त्र का उपयोग कीजिए। तब श्रीराम मनमोहनी अस्त्र खर दूषण की ओर चला देते है जिसके प्रभाव से खर दूषण की सेना मोहित होकर आपस में ही लड़कर नष्ट हो जाती है। और आखिर में श्रीराम अपने दिव्यास्त्र के द्वारा दंडक वन के राजा खर का वध कर देते है। 

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