मेघनाद रामायण का सबसे शक्तिशाली योद्धा | Who was Indrajeet In HIndi

मेघनाद रामायण का सबसे शक्तिशाली योद्धा | Who was Indrajeet In HIndi

मेघनाद (इंद्रजीत) कौन था | मेघनाद (इंद्रजीत) की शक्ति का रहस्य  Indrajeet kon tha?

Who was Meghnad in Hindi | Who was Indrajeet in Hindi 

मेघनाद रामायण का सबसे शक्तिशाली योद्धा 

आप सभी ने रामायण तो कभी पढ़ी या टीवी में अवश्य देखि होगी जिसमे बहुत से महाशक्तिशाली पात्र दिखाए गए थे लेकिन आज हम आपको रामायण के एक ऐसे पात्र के बारे में बताएंगे जिसको मार पाना स्वयं श्री राम के लिए भी संभव नहीं था। वह पात्र था मेघनाद (इंद्रजीत) | जी हाँ, आपने सही पढ़ा रावण का पहला और सबसे प्यारा पुत्र मेघनाद जोकि अपने पिता रावण से भी अधिक शक्तिशाली था। यदि मेघनाद और श्री राम का युद्ध में आमना सामना होता तो तब भी मेघनाद को नहीं हराया जा सकता था। तो चलिए इसके बारे में आगे चर्चा करते है|   और पढ़े -


कौन था मेघनाथ (इंद्रजीत)
           मेघनाद (काल्पनिक चित्र) 

कौन था मेघनाथ | मेघनाद नाम क्यों रखा गया  

 रामायण में सबसे अधिक बलशाली महारथी योद्धा मेघनाथ (इंद्रजीत) लंका के राजा रावण का सबसे पहला  पुत्र था। रावण की पहली पत्नी मंदोदरी जोकि मय दानव की पुत्री थी। उसी की कोख से मेघनाद का जन्म हुआ था । मेघनाथ के इस नाम का रहस्य यह बताया जाता है कि हमारे ग्रंथों में इस बात का वर्णन है कि जब मेघनाथ का  जन्म हुआ था तब उसके रोने की आवाज एक साधारण बालक की तरह नहीं बल्कि बादल के गड़गड़ाहट की तरह सुनाई पड़ती थी जिसके वजह से उस बालक का नाम मेघनाथ रखा गया।

रावण का प्रिय पुत्र तथा लंका का युवराज 

मेघनाथ रावण का बड़ा पुत्र होने के साथ-साथ लंका का युवराज भी था जिसे रावण बेहद प्यार करता था। जितना बड़ा महान विद्वान ज्योतिष रावण था उससे भी कहीं ज्यादा गुणवान, महान योद्धा और सबसे बड़ा ज्ञानी वह अपने बेटे मेघनाथ को बनाना चाहता था। अपने पुत्र को अजर अमर बनाने की कामना को लेकर त्रिलोक विजेता रावण ने सभी देवताओं को अपने पुत्र के जन्म के समय एक ही स्थान अर्थात ग्यारहवें घर में विराजमान रहने के लिए कहा। मेघनाथ के पैदा होने से पहले ही रावण को इतना ज्यादा मोह अपने पुत्र से हो गया था कि उसने ग्रहों की चाल को ही बदलने की कोशिश कर डाली। परंतु भगवान तो अपनी माया अपने अनुसार ही रखते हैं इसलिए शनिदेव ने रावण की आज्ञा का उल्लंघन किया और सारे ग्रहों से अलग बारहवें घर में जाकर बैठ गए। ताकि मेघनाथ अजर अमर की उपाधि ना प्राप्त कर सके।

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मेघनाथ क्यों था इतना  शक्तिशाली                  

महाग्रंथों में यह वर्णित है की मेघनाद ने त्रिदेव ब्रह्मा , विष्णु , महेश तीनो से दिव्या अस्त्र तथा शक्तियां प्राप्त की थी जिसके कारन वह अन्य सभी से अधिक शक्तिशाली बन गया था । त्रिदेव की शक्ति का आशय है ब्रह्मा जी का अस्त्र (बह्मास्त्र ), विष्णु भगवान का सुदर्शन चक्र तथा भगवान शिव का पाशुपत अस्त्र ये 3 अस्त्र ब्रह्माण्ड की सबसे बड़ी शक्तियां थी जिन्हे मेघनाद ने तप तथा यज्ञ करके प्राप्त किया था। इसी वजह से वह ब्रह्मांड का सबसे महान योद्धा कहलाया गया था। इंद्रजीत ने अपनी युक्त शास्त्र शिक्षा दैत्य गुरु शुक्राचार्य  से प्राप्त की थी। इन सबके अलावा उन्होंने कई अलग-अलग प्रकार की जादुई और सम्मोहन शक्तियों को प्राप्त किया था जिसकी वजह से ही युद्ध क्षेत्र में उन्होंने राम व लक्ष्मण दोनों को ही एक साथ नापाक में फंसा कर मूर्छित कर दिया था।

इंद्रजीत नाम कैसे पड़ा 

जब लंकापति रावण ने स्वर्गलोक के देवताओं पर आक्रमण कर दिया तब उस समय मेघनाथ भी उस युद्ध में रावण के साथ इंद्रदेव के साथ युद्ध किया था । तब एक जगह जब रावण पर इंद्र ने प्रहार करना चाहा तो मेघनाथ अपने पिता को बचाने के लिए आगे आया और उसने एक ही बार में इंद्र और इंद्र के वाहन एरावत पर हमला कर दिया। उसे वहां पर सभी देवताओं के साथ-साथ इंद्र को भी इस युद्ध में हरा दिया जिसके बाद मेघनाथ को इंद्रजीत की उपाधि से संबोधित किया जाने लगा।  और पढ़े -

ब्रह्मा ने बताया था अमरत्व का राज़ 

स्वर्गलोक शांति तथा संतुलन बनाये रखने के लिए ब्रह्मदेव ने इंद्रदेव को मेघनाद से मुक्त कराने का विचार किया। तब जाकर ब्रह्मदेव ने मेघनाथ से निवेदन किया कि वह इंद्र को मुक्त कर दें। परंतु इंद्रजीत इस बात को मानने के लिए राजी नहीं था। ब्रह्मा जी ने कहा कि तुम यदि इंद्र को छोड़ दोगे तो मुझसे एक वरदान प्राप्त कर सकते हो। मेघनाथ ने ब्रह्माजी के उस वचन का फायदा उठाते हुए उनसे अमरता का वरदान प्रदान करने के लिए कहा। तब ब्रह्मा जी ने मेघनाथ को समझाया और कहा कि अमर होना इस प्रकृति में किसी भी जीव के लिए संभव नहीं है क्योंकि यह तो प्रकृति के ही खिलाफ है तब उन्होंने इंद्रजीत से कहा कि वह कोई दूसरा वरदान मांग ले। इंद्रजीत अपनी बात पर अड़ा रहा तब ब्रह्मा जी ने अपने इंद्रजीत को कहा कि यदि वह अपनी मूल देवी निकुंभला देवी का यज्ञ करेगा और वह यज्ञ जब संपूर्ण हो जाएगा तब उसे एक ऐसा रथ प्राप्त होगा जिस पर बैठकर वह किसी भी शत्रु के सामने युद्ध में पराजित नहीं हो पाएगा और ना ही उसकी मृत्यु होगी।

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मेघनाद (इंद्रजीत) की मृत्यु का रहस्य 

ब्रह्मा जी ने इंद्रजीत को यह कहते हुए भी सावधान किया कि यदि कोई भी कुल देवी निकुंभला के यज्ञ को विध्वंस करेगा वही तुम्हारी मृत्यु का कारण भी बनेगा। ब्रह्मा जी ने इंद्रजीत को यह भी बताया की केवल एक ही व्यक्ति इस पृथ्वी पर ऐसा होगा जो मेघनाथ का अंत कर पाएगा। वह केवल वही व्यक्ति होगा जो 12 वर्ष तक सोया ना हो। इसी वरदान के कारण केवल लक्ष्मण ही ऐसा मानव था जो इंद्रजीत को मृत्यु के घाट उतार सकता था क्योंकि वह वनवास के दौरान लगातार 14 वर्षों तक सोया नहीं था। इसी कारण राम रावण युद्ध के दौरान युद्ध क्षेत्र में लक्ष्मण के हाथों ही मेघनाथ का अंत हुआ।

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