कौन है शनिदेव जिनसे देवता भी डरते है। शनिदेव की जन्म कथा (कहानी) । शनिदेव मंत्र
( Shani dev Kon Hai, Shani dev Story in Hindi)
शनिदेव कौन है ? (Who is Shani dev)
सूर्यपुत्र शनिदेव को कर्मो का देवता या कर्म-फल दाता कहा जाता है। शनिदेव का वाहन कौवा (काग ) होता है। शनिदेव को नव ग्रहों में हमारे सौरमंडल के छठे ग्रह शनि का रूप माना जाता है । तथा सप्ताह के 7 दिनों में से शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित होता है। माना जाता है कि शनिदेव इतने शक्तिशाली है की इनकी कुदृष्टि से देवता भी डरते है। मनुष्य हो या कोई देवता इनकी कुदृष्टि से उसका अनिष्ट अवश्य होता है। माना जाता है स्वयं ब्रह्मा, विष्णु तथा देवों के देव महादेव भी शनि की दृष्टि से अभेद नहीं है। शनि देव की दृष्टि एक राजा को भिखारी बना सकती हैं तथा जिस इंसान पर शनिदेव की कृपा हो जाती हैं वह एक भिखारी से राजा तक बन सकता है।
सूर्यपुत्र शनिदेव |
शनिदेव की पूजा (Shani dev Worship)
सप्ताह के 7 दिनों में से शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित होता है। इस दिन शनिदेव की पूजा करने से भक्तों को मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। शनि केवल उनकी क्रूर दृष्टि के लिए नहीं बल्कि शनिदेव को उनकी शुभ दृष्टि के लिए भी जाना जाता है। अगर शनिदेव की दृष्टि किसी जातक पर शुभ पड़ रही हो तो उसके जीवन में अपार खुशियां आ जाती हैं। इन्हें कर्मों का देवता या कर्म-फल दाता कहा जाता है। ऐसे में शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए कई उपाय किए जाते हैं। शनिवार के दिन शनिदेव के मंदिर में जाकर सरसों के तेल का दिया जलाने से तथा सात तरह का अनाज चलते पानी में प्रवाहित करने से शनिदेव की कृपा होने लगती है। शनिवार के दिन काले रंग के कुत्ते को भी तेल लगाकर रोटी खिलानी चाहिए इससे भी शनिदेव की कुदृष्टि का प्रभाव कम होने लगता है। और अधिक पढ़े -
शनिदेव (शनैश्चर) के जन्म की कथा
(Shani dev Birth Story In Hindi)
विशवकर्मा की पुत्री संज्ञा का विवाह सूर्यदेव से हुआ था। लेकिन संज्ञा सूर्यदेव की तेज गर्मी को सहन नहीं कर पाती थी इसलिए उन्होंने अपनी शक्ति से अपनी जैसी दिखने वाली एक स्त्री (छाया) बनाई और उससे कहा की तुम हमेशा सूर्यदेव के साथ उनकी पत्नी के रूप में रहना और मेरे यहाँ से चले जाने की सुचना सूर्यदेव को कभी मत देना। यह कहकर संज्ञा अपने पिता के घर वापस आ जाती है। वहां सूर्यदेव और छाया से एक पुत्र का जन्म होता है। जिसका नाम शनैश्चर रखा जाता है। शनैश्चर के जन्म से सभी देवता तथा मनष्य भयभीत हो गए थे क्योंकि उन्होंने तीनो लोको पर अधिकार कर लिया था।
शनिदेव जहाँ भी जाते या जिस पर भी अपनी दृष्टि डालते उसका अनिष्ट आरम्भ हो जाता। जब सभी देवता कोई रास्ता नहीं खोज पा रहे थे वे अंत में भगवन शिव के पास गए और उनसे मदद की गुहार लगाई की वे शनिदेव से उनकी रक्षा करे। शिव जी ने मन ही मन शनिदेव का ध्यान किया और शनिदेव तुरंत ही महादेव के समक्ष उपस्थित हो गए। तब महादेव ने कहा की वह क्यों सबको प्रताड़ित कर रहे है। शनिदेव बोलते है भगवन इसमें मेरा कोई दोष नहीं है मेरी जन्म से ही ऐसी प्रवृति रही है की मैं अशांत रहता हु। कृपा करके मेरे लिए कोई अच्छा मार्ग सुनश्चित करे।तब शनिदेव को समझाते हुए भगवान शिव ने कहा - किसी भी कुंडली में पहले, दूसरे, चौथे, आठवें तथा बारहवें भाग में आप विरोधी और अमंगल रहेंगे। कुंडली के तीसरे, छठे या ग्यारहवें भाग में रहने पर आप लाभकारी होंगे और इसीलिए आप की पूजा भी की जाएगी जबकि कुंडली के पांचवें, सातवें तथा नौवें भाग में आप तटस्थ होंगे। आप आकार में अन्य ग्रहो से बड़े है इसलिए आप सभी राशियों में धीरे धीरे बढ़ेंगे। साथ ही भगवन शिव ने शनैश्चर(शनिदेव ) को यह वचन भी दिया की जिस व्यक्ति पर आप प्रसन्न होंगे उसे पल भर में धनवान या राजा बाना देंगे और जिस व्यक्ति से आप क्रोधित होंगे उसका सुख समृद्धि को नष्ट करने में सक्षम होंगे। आपकी पूजा अन्य सभी ग्रहो से अधिक होगी। और अधिक पढ़े -
शनिदेव मंत्र जाप (Shani dev mantra)
शनिवार को शनिदेव की पूजा करते समय इस मंत्र का जाप अवश्य करें।
शनिदेव मंत्र - * ॐ शं शनिश्चराय नम: *
शनिदेव का तांत्रिक मंत्र - * ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनये नमः *
शनिदेव के अन्य मंत्र -
ऊँ श्रां श्रीं श्रूं शनैश्चाराय नमः।
ऊँ हलृशं शनिदेवाय नमः।
ऊँ एं हलृ श्रीं शनैश्चाराय नमः।
यह भी पढ़ सकते है -
कौन है यक्षिणियां, कल्पना या वास्तविकता? -जरूर पढ़े -
बाली कौन था | बाली और हनुमान का युद्ध क्यों हुआ था ?
शेषनाग के अवतार लक्षमण का चरित्र वर्णन जरूर पढ़े -
रामायण के 10 रहस्य जो अपने कभी नहीं सुने होंगे-
जानिए भगवान शिव के तीसरी आंख का रहस्य
0 टिप्पणियाँ
how can i help you