जानिए क्यों हुआ था हनुमान जी और बाली में युद्ध
बाली कौन था | बाली और हनुमान का युद्ध क्यों हुआ था ?
बाली कौन था ? | Who was Baliआपने रामायण में बाली नाम के वानर का जिक्र तो अवश्य सुना होगा । बाली भगवान सूर्य देव का पुत्र था तथा किष्किंधा नगरी का राजा था जो की भू-तल में बसाई हुई थी। बाली के पास एक अनोखा वरदान था कि युद्ध भूमि में कोई भी शत्रु उसके सामने जाता था तो उस शत्रु की आधी शक्ति उसके अंदर समा जाती थी । बाली के इसी वरदान के कारण कोई भी शत्रु बाली के सामने टिक नहीं पाता था क्योंकि जब भी कोई शत्रु वाली का सामना करने के लिए रणभूमि में आता तो उसकी आधी शक्ति बाली में समा जाती, जिसके कारण बाली अपने शत्रु से 2 गुना अधिक ताकतवर हो जाता था और अपने शत्रु को आसानी से परास्त कर देता था।
रामायण काल में हमें इस घटना का वर्णन भी मिलता है कि जिस लंकापति रावण को भगवान राम मारने के लिए अवतार लेकर आए थे उस लंकापति रावण को बाली ने परास्त किया था इतना ही नहीं बल्कि बाली रावण को 6 महीने तक अपनी कांख में दबाए दबाए घूमता रहा था।
वीडियो में देखने के लिए निचे लिंक पर क्लिक करे.
https://www.youtube.com/watch?v=UGSlGofIRuA
हनुमान तथा बाली का युद्ध |
बाली की शक्ति का रहस्य | The secret of Bali's power
ब्रह्मदेव ने बाली के तपस्या से प्रसन्न होकर उसे यह वरदान दिया की जब भी युद्ध भूमि में कोई भी शत्रु तुम्हारे सामने आएगा तो उसकी आधी शक्ति बाली के शरीर में आ जाएगी। ब्रह्मदेव द्वारा मिले इस अनोखे वरदान के कारण बाली हर शत्रु पर विजय प्राप्त कर लेता था और इसी कारण उसे अपने शक्ति पर घमंड होने लगा । अपने इसी अहंकार के चलते बाली ने 1 दिन साधना में लीन हनुमान को चुनौती दे डाली। शुरू में तो हनुमान ने बाली को नजरअंदाज किया लेकिन बाली के बार-बार उकसाने पर हनुमान जी को थोड़ा क्रोध आने लगा। किंतु फिर भी उन्होंने सोचा कि इसको अपनी शक्ति का घमंड हो गया है इसलिए इसको जाने दिया जाए। क्योंकि बजरंगबली हनुमान अपने भक्ति में मस्त रहते थे उन्हें अपने अपमान का कोई भय नहीं था इसलिए उन्होंने निश्चय किया कि वह बाली से युद्ध नही करेंगे और दोबारा से श्री राम का नाम लेकर उनकी भक्ति में लीन हो गए। और अधिक पढ़े -
हनुमान द्वारा बाली को इस तरह नजरअंदाज किए जाने पर बाली अपना आपा खो देता है और हनुमान को श्री राम के नाम पर चुनौती देने लगता है तुम और तुम्हारे श्रीराम मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकते और न ही मुझे हरा सकते है।
शेषनाग के अवतार लक्षमण का चरित्र वर्णन - जरूर पढ़े -
हनुमान तथा बाली का युद्ध | Hanuman Or Bali ka Yudhh
अपने तक तो ठीक था लेकिन जब बजरंगबली ने अपने प्रभु श्री राम के बारे में बाली के मुख से चुनौती सुनी उन्हें गुस्सा हो गया और उन्होंने निश्चय किया कि बाली का घमंड अवश्य तोड़ेंगे। यह सोचकर हनुमान नेपाली की चुनौती स्वीकार कर ली और उसके साथ युद्ध करने का निश्चय किया। युद्ध का दिन निर्धारित किया गया। लेकिन जिस दिन युद्ध होने वाला था उससे पहले स्वयं ब्रह्मा बजरंगबली हनुमान के पास आए और बोले, हे हनुमान आप जब बाली से लड़ने युद्ध क्षेत्र में जाएं तो केवल अपनी शक्ति का दसवां हिस्सा ही लेकर जाना। और अपनी बाकी की शक्ति अपने प्रभु श्रीराम के पास छोड़कर जाइए।युद्ध से लौटकर आप अपनी शक्ति श्रीराम से वापिस ले लेना । ब्रह्मा जी की बात हनुमान जी मान लेते है और युद्ध के मैदान में अपनी शक्ति का केवल 10 वां हिस्सा लेकर जाते है।
हनुमान के सामने जाते है वरदान के मुताबिक हनुमान की आधी शक्ति बाली के समाने लगती है। अचानक बाली को अपने अंदर बहुत अधिक ऊर्जा महसूस होने लगती है। जैसे जैसे हनुमान की शक्ति उसमे समाती जा रही थी बाली की हालत खराब होने लगती है । बाली की नसे फूलने लगती है तथा उसके पूरे शरीर पर पसीना आ जाता है। बालि को समझ नहीं आता कि उसके साथ क्या हो रहा है उसका शरीर फूलता जा रहा था और आकार में बड़ा होता जा रहा था। बाली को यह लगने लगा की उसका शरीर मानव जैसे फटने ही वाला था तब अचानक ब्रह्मा जी प्रकट हुए हैं और बाली से भोले की तुम अपनी जान बचाना चाहते हो तो बजरंगबली हनुमान से जितना हो सके दूर भाग जाओ। हनुमान जी इतने अधिक शक्तिशाली है कि उनके शक्ति का केवल 5% हिस्सा भी तुम अपने शरीर में धारण नहीं कर पा रहे हो। और तुम हनुमान से युद्ध करने की सोच रहे थे। ब्रह्मदेव की यह वचन सुनकर वाली को अपने अहंकार पर पछतावा होता है और वह वहां से दूर भाग जाता है। जिस वजह बाली के प्राण बच जाते है। इस तरह बिना युद्ध किये ही बाली महावीर हनुमान से हार जाते है।
यह भी पढ़े -
रामायण के 10 रहस्य जो अपने कभी नहीं सुने होंगे-
जानिए भगवान शिव के तीसरी आंख का रहस्य
0 टिप्पणियाँ
how can i help you