भगवान शिव के 3 सबसे शक्तिशाली अवतार | Most Powerful Avatars of Lord Shiva in Hindi

भगवान शिव के 3 सबसे शक्तिशाली अवतार | Most Powerful Avatars of Lord Shiva in Hindi

भगवान शिव के सबसे शक्तिशाली अवतार | Most Powerful Avatars of Lord Shiva in Hindi

महादेव के सबसे शक्तिशाली अवतार कौन से है?| Shiv ke 3 mukhya Avatar 

हिंदू धर्म ग्रंथों तथा महा पुराणों के अनुसार त्रिदेवो में सबसे शक्तिशाली माने जाने वाले भगवान शिव अर्थात महादेव है। ब्रह्मा विष्णु महेश त्रिमूर्ति इस सृष्टि की सबसे बड़ी महा शक्तियां हैं ब्रह्मदेव को छोड़कर भगवान विष्णु और भगवान शिव समय-समय पर अवतार लेते रहते हैं ताकि सृष्टि के संचालन को अच्छे से चलाया जा सके। इसके लिए भगवान विष्णु अब तक 9 अवतार ले चुके हैं जबकि भगवान शिव के अब तक 19 अवतार लेने की कथा का वर्णन किया गया है। ऐसे ही भगवान शिव के 19 अवतारों में से तीन सबसे महाशक्तिशाली अवतारों के बारे में आज हम चर्चा करेंगे। 

देवों के देव महादेव सृष्टि के विनाशक हैं जो कि इस सृष्टि से जीवन तथा अहंकार बुराइयों आदि का अंत करते हैं। जब जब इस सृष्टि में अहंकार अपने चरम पर पहुंच चाहे तब महादेव ने विनाशकारी अवतार रूप में आकर अहंकार का नाश किया है। इसलिए आज हम महादेव के 3 सबसे अधिक शक्तिशाली अवतारों के बारे में बात करेंगे जो कि निम्न है।    
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काल भैरव अवतार (Kaal Bhairav ​​Avatar)

महा पुराणों के अनुसार माना जाता है कि भगवान शिव के काल भैरव अवतार को सृष्टि के निर्माण के समय जन्म दिया था । बात यह थी कि सृष्टि के निर्माण से पहले के समय भगवान नारायण  और ब्रह्मदेव की उत्पत्ति हुई तब ब्रह्मदेव को अपने सबसे श्रेष्ठ होने का अहंकार उत्पन्न हुआ। तब ब्रह्मदेव  के अहंकार के रूप में ब्रह्मदेव का पांचवा सर उत्पन्न हुआ था जिसको काटने के लिए भगवान शिव ने काल भैरव को उत्पन्न किया था।
काल भैरव अवतार
काल भैरव

काल भैरव ने ब्रह्मदेव का अहंकार रूपी पैदा हुआ पांचवा सर काट दिया लेकिन उस वजह से काल भैरव पर ब्रहम हत्या का पाप लग गया। काल भैरव ब्रह्मदेव के उस कटे हुए शीश को लेकर बहुत से  तीर्थ स्थानों पर घूमते रहे लेकिन उन्हें ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति नहीं मिली  लेकिन अंत में जब काल भैरव काशी पहुंचे तो तब वहां पर उन्हें ब्रहम हत्या के पाप से मुक्ति मिल गई और  हमेशा के लिए काल भैरव काशी में ही स्थित हो गए। काल भैरव भगवान शिव का पहला अवतार थे जिन्होंने  सृष्टि के रचेता ब्रह्म देव का शीश काट दिया था वह महाशक्तिशाली थे।

वीरभद्र अवतार (Virbhadra Avatar)

भगवान शिव का दूसरा महाशक्तिशाली अवतार का नाम था वीरभद्र। वीरभद्र की उत्पत्ति भगवान शिव की पत्नी सती के पिता प्रजापति दक्ष को मारने के लिए हुई थी। प्रजापति दक्ष का अहंकार इतना अधिक बढ़ गया था कि वह भगवान शिव की पत्नी माता सती के मृत्यु का कारण बन गया था। माता  सती के मृत्यु से भगवान शिव इतने अधिक आहत हुए कि वह क्रोध में तांडव करने लगे जिससे यह सृष्टि कांपने लगी थी, तब तांडव करते हुए महादेव ने अपनी जटा का एक हिस्सा उखाड़ का जमीन पर फेंका जिससे वीरभद्र की उत्पत्ति हुई। महादेव ने वीरभद्र को यह स्पष्ट आदेश दिया कि तुम इसी समय प्रजापति दक्ष के राज्य में जाकर उसका अंत कर दो और जो भी तुम्हारे रास्ते में आए चाहे वह देवता दानव या मनुष्य कोई भी हो उसे भी भस्म कर दो।


वीरभद्र अवतार
वीरभद्र

वीरभद्र जॉकी महादेव की कुंडलिनी शक्ति का प्रतीक था उसी क्षण प्रस्थान करता है और प्रजापति दक्ष के महल में आकर उनका यज्ञ विध्वंस कर देता है। वीरभद्र से लड़ने के लिए प्रजापति दक्ष अपनी सेना को आगे कर देता है लेकिन वीरभद्र एक-एक करके सब को पराजित कर देता है। उसके पश्चात प्रजापति दक्ष भगवान नारायण से सहायता मांगता है और वीरभद्र से लड़ने के लिए विनती करता है तब वह नारायण वीरभद्र से लड़ने जाते हैं लेकिन एक ऋषि के दिए गए श्राप के कारण  वह  उनसे हार जाते हैं। कुछ ग्रंथों मैं यह भी वर्णित है कि भगवान नारायण ने वीरभद्र पर सुदर्शन चक्र से वार किया तो वीरभद्र ने उनका सुदर्शन चक्र निगल लिया तब नारायण को यकीन हो गया कि आज प्रजापति दक्ष की मृत्यु निश्चित है इसलिए उन्होंने  वीरभद्र से कहा कि अब मैं आपके रास्ते में नहीं आऊंगा। यह कहकर भगवान विष्णु वीरभद्र के रास्ते से हट गए हो वीरभद्र ने अपने खडग से  प्रजापति दक्ष का सिर धड़ से अलग कर दिया प्रजापति दक्ष का वह सर उन्हीं के यज्ञ मैं जाकर गिरा और भस्म हो गया । दक्ष का वध होते ही वीरभद्र वहां चला जाता है।

बजरंगबली हनुमान अवतार (  Lord Hanuman Avatar)

भगवान शिव के तीसरे सबसे महाशक्तिशाली अवतार का नाम है हनुमान  जिन्हे  हम बजरंगबली, अंजनी पुत्र, पवन पुत्र, संकट मोचन मारुति आदि के नाम से भी पूजते है। बजरंग बली हनुमान जी की शक्ति से हर  कोई परिचित हैं। भगवान शिव ने वानर राज केसरी की पत्नी अंजनी को यह वरदान दिया था कि उनके गर्भ  से उनका अंश अवतार जन्म लेगा। बजरंगबली हनुमान जी के जन्म का मुख्य उद्देश्य भगवान विष्णु के अवतार श्री राम के अवतार लीला में सहायता करने के लिए हुआ था।


बजरंगबली हनुमान
बजरंगबली हनुमान HANUMAN

भगवान विष्णु श्री राम का अवतार लेकर धरती पर से राक्षसों के बढ़े हुए अत्याचारों  का अंत करने के लिए मानव रूप में आए थे। श्री राम की इस लीला में उनका सहयोग करने तथा राक्षसो का नाश करने के लिए  भगवन शिव के ग्यारहवें रूद्र एक वानर के रूप में अवतरित हुए।  

बजरंगबली हनुमान की शक्तियां असीमित थी क्योंकि वे अनादि और अनंत महादेव के ग्यारहवें रूद्र रूप थे तथा उन्हें हर देवता से वरदान प्राप्त था और ब्रम्हास्त्र भी उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता था। अपने बालपन में ही हनुमान ने सूर्य को निगल लिया था। 

जिस रावण को वानर राज बाली अपनी काख में दबाकर 6 महीने तक घूमता रहा था लेकिन वह बाली भी हनुमान जी की शक्ति का 10 वां हिस्सा भी संभाल  नहीं पाया था। महाबलशाली होने के साथ हनुमान जी बहुत विद्वान् थे तथा धर्म और वेदो के ज्ञाता थे। वह अपने शरीर को किसी भी आकार में ढाल सकते थे। माता सीता ने उन्हें आठ सिद्धियाँ और नौ निधियों के दाता होने का वरदान दिया था। 

हनुमान तथा बाली का युद्ध

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