7 भारतीय रीती रिवाज जिनके पीछे है वैज्ञानिक कारण | हिन्दू अंधविश्वासों के पीछे का वैज्ञानिक रहस्य

7 भारतीय रीती रिवाज जिनके पीछे है वैज्ञानिक कारण | हिन्दू अंधविश्वासों के पीछे का वैज्ञानिक रहस्य

Indian customs behind which there is a scientific reason in hindi|

भारत में अंधविश्वासों के पीछे का वैज्ञानिक रहस्य 

भारत एक धार्मिक देश है जहा पर चमत्कार, अन्धविश्वास  जैसे शब्दों का अर्थ विस्तार में खोजै जा सकता है। भारत में बहुत से ऐसे रीती रिवाज है जिनको कुछ लोग अन्धविश्वास मानते है तो कुछ लोग उन घटनाओ या मान्यताओं के पीछे वैज्ञानिक कारण बताते है। इसके उदाहरण है रात को नाखून नहीं काटते शेतान अजायगा ,अरे कल घर से बाहर मत निकालना पनोती लगेगी ,हाई राम आज घर मे चमगादड़ घुस गया क्या आज किसी की मौत होगी आप लोगों ने ये बात कभी न कभी जरूर सुनी होगी | क्युकी भारतीय संस्कृति मे  बहुत अंधविश्वास  को मानते है।           और अधिक पढ़े :-



ये रीती रिवाज हर गाओं या इलाको में अलग अलग हो सकते है।आज की पीढ़ी को तो ये अंधविश्वास लगता है पर हमारे जो बुजुर्ग पूर्वज शायद हमसे जादा  scientific  थे ,पर कुछ लोगों ने आपको यही बाते अंधविश्वासी लॉजिक से बताई गई है पर हम इसके पीछे के वैज्ञानिक कारणों को जानने का प्रयास करेंगे।   और अधिक पढ़े :-

रात को झाड़ू नहीं लगाना चाहिए |

आपने आपके घर मे ही देखा होगा की रात को झाड़ू लगाना अशुभ मानते है बहुत सारे घरों मे रात को झाड़ू मारना सख्त माना है | रात को झाड़ू मारो या सुबह झाड़ू मारो क्या फरक पड़ता है।  हमारे पूर्वजों ने ये नियम  भी कुछ सोच समझ कर बनाए थे पर अफसोस आगे की पीड़ियों ने इससे अंधविश्वास मे तकदिल कर  दिया ,पुराने अंधविश्वास से अगर आप रात मे झाड़ू लगते है घर पर तो माता लक्ष्मी कभी नहीं आयगी आपके घर पर पर सच तो ये है की ,सूर्यास्त के बाद घर मे गुप्त अंधेरा हो जाता था और सिर्फ दिया और बत्ती थी न की बिजली तो बात तो यही हे की आँखों पर पट्टी बंद कर काम करने के बराबर हो गया तो बहुत सी कीमति चीजे नहीं दिखती और गलती से कुछ कचरे मे न जाए इसलिए उस जमाने मे ये लॉजिक सही था लेकिन आज इलेक्ट्रिसिटी के कारण इससे कोई फरक नहीं पड़ता है |

घर मे चमगादड़ का आना अशुभ होता है |

 क्युकी सभी लोग ये मानते है की   चमगादड़ का घर किसी मे 3 बार आना मतलब उस घर के सदस्य की मौत इंतजार कर रही है , और हमारे पूर्वज इसको लेकर कही न कही सही थे की  चमगादड़ घर मे मौत लेकर आते है | इसका असली  कारण  ये है की उस जमाने मे मेडिकल डेवलपमेंट को लेकर तरक्की नहीं हुई थी ,आज हमको पता है की  चमगादड़  की बीमारी होती थी उनके वायरस हमारे शरीर को ज्यादा देर तक जींदा नहीं रहने देते चमकादर के वायरस अगर इंसान के शरीर मे आ जाते है तो व्यक्ति की मृत्यु तक हो सकती है।  और अधिक पढ़े :-

दक्षिण की और सिर रख कर सोये |

आपने सुन होगा अच्छी नींद सोना है तो आपको दक्षिण की और सिर रख कर सोना चाहिए | आपने अक्सर ये बात सुनी होगी की उत्तर की और सोने से मना किया जाता है इसके पीछे एक ठोस वजह है , जो हमारे पूर्वज हुमसे बेहतर जानते थे पर इसके आगे के पीड़ियों ने इस  वैज्ञानिक कारण  को अन्धविश्वास  बना कर आगे  बढ़ाना शुरू कर दिया। अन्धविश्वास यह है की अगर आप उत्तर की और सिर रख कर सोते है तो भूत प्रेत आत्मा आपको अपना शिकार बनाईगी ,आपको रात मे बुरे सपने और आपके आस पास भटकती हुई आत्मा दिखाई देगी और आज भी कुछ लोग इस अंधविश्वास को मानते है |                                                      

हम इससे scientific तौर से देखेंगे तो बात तो ये की की हमे उत्तर दिशा मे सोने पर हमे पृथ्वी की Magnetic field का सामना करना पड़ता है हमे स्कूल और कॉलेज मे बताया जाता है की पृथ्वी की मेग्नेटिक फील्ड उत्तर और दक्षिण पोल मे कोनसेनट्रेटेट होती है | और हमारे पूर्वज को ये तक पता था की हमारे शरीर की खुद की एक मेग्नेटिक फील्ड भी होती है और हमारा सिर उत्तर और पैर दक्षिण दिशा माना जाता है और हमारे पूर्वजों को ये भी पता था की हमारा इंडिया northern hemisphere मे आता है |अगर हम उत्तर दिशा मे सिर रख कर सोते है तो खून का बहाव सिर मे तेजी से होता है और इससे हमारी मौत होने के चांस बड़ जाते है

सूर्य ग्रहण पर बाहर न निकले |

भारत जैसे देश में यह मान्यता है की किसी भी तरह के ग्रहण के समय इंसानो को बहार नहीं िकलना चाहिए।  हमारे पूर्वजों ने बाहर जाने पर रोक इसलिए नहीं लगाई की राखक्षस खा जायगा बल्कि  इसका असली कारन यह है सूर्य ग्रहण के समय  अत्यधिक पराबैंगनी किरणे छोरता है जिससे इंसान की रेटिना खराब हो सकती है और यहा तक स्किन जल सकती है | रेटिना खराब होने से इंसान अंधा हो सकता है ,और प्रेग्नन्ट लेडी अगर घर मे उस वक्त हो तो उन्हे किचन मे काम भी नहीं करने दिया जात है और उन्हे एक कोने मे बीठा दिया जाता है ,की ultra voilet rays उस वक्त बहुत तेज होते है और वो हानिकारकहो  सकता है babies के लिए |तो इसलिए ग्रहण के दिन बाहर जाने का मतलब था इस रेडीऐशन से बचाने के लिए |

सूर्यास्त के बाद नाखून और दाड़ी नहीं काटने चाहिए |

सूर्यास्त के बाद नाखून नहीं काटना शैव नहीं करना चाहिए |  क्युकी अगर आप रात को ऐसा करते है तो आपके ज्यादा chances होते है की स्किन कटने का डर रहता है पर कुछ अंधविश्वासी लोगों का कहना है की अगर आपने रात मे नाखून काटा और स्किन कूट गया तो वो कति स्किन से अट्रैक्ट होकर बुरी आत्मा आयगी आज भी कुछ गाँव मे लोग ये बात मानते है पर ऐसा कुछ नहीं है क्युकी पहले के वक्त मे बिजली का न होना सबसे बड़ा कारण था अगर आप उस वक्त मे ऐसा करते तो आपकी स्किन कूट जाती और दर्द होता उससे बचने के लिए ऐसा कहा जाता था पर ये दुनिया तो अंधविश्वास से भरा पड़ा है पर अब इलेक्ट्रिसिटी मोजूद है तो आप भी इन बातों से जागरूक होये और दूसरों को भी जागरूक करे | और अधिक पढ़े :-

शीशे ( आइना ) का टूटना 

शीशे से शिशा अगर टकराए तो होगा बुरा अंजाम ऐसा जो करदेगा आपका जीवन बर्बाद वो आपने देखा होगा आक्सर डरावनी फिल्म मे अक्सर टूटे शीशे देखे होंगे कैसे एक शीशे के टूटने से bad luck इंसान के आस पास मंडराता रहता है |आप शायद ये बेलिव नहीं करेंगे की हमारे पूर्वजों ने हुमए दराने के लिए ये बात नहीं की थी बल्कि इसके पीछे कुछ रियल रेगिऑन है |उस जमाने मे शीशे बहोत expensive और नाजुक सी चीज मानी जाती थी जो जरा सी लापरवाही से आसानी से टूट जाती थी ,और शीशे को बनाने का प्रोसेस भोत क्रिटिकल था| इसमे भोत मेहनत और काम शामिल होता था ,लोगों को इसकी एहमीयत और उन्हे लापरवाही बताने के लिए पूर्वजों ने ये जानबुजकर अफवाये फैलाई की शीशे के टूट जाने से 7 साल तक bad luck होगा |

अंतिम संस्कार के बाद स्नान |

आपने देखा होगा जब भी आपके घर का कोई मर्द अंतिम संस्कार करने बाद घर आते है तो बिना कुछ टच कीये बिना कुछ कीये सीधे नहाने जाते है | पर कभी आपने किसी से सुना है की अंतिम संस्कार के बाद नहाना क्यू जरूरी है तो जवाब मिलेगा की शमशान से आकर नहीं नहाना अशुभ माना जाता है और कही अंधविश्वास लोगों की सुने तो उस मरे हुए इंसान की भटकती आत्मा आपका पिछा कर सकती है और फिर आप तो गए पर ये लॉजिक कुछ हजम नहीं हुआ |हमारे पूर्वज ने वाकय मे सोच समझ कर शमशान से आकर नहाना जरूरी समझा क्युकी उस वक्त सेनेटाईजेशन और क्लेनलीनेस्स  के अलग अलग practices थे |  और अधिक पढ़े :-

जब इंसान मर जाता है तो उसका शरीर bactreria से लड़ने की ताकत गवा बेठता है और तुरंत सड़ना शुरू हो जाता है ,और अंतिम संस्कार मे उपस्थित लोग मृत शरीर केबिलकुल आमने सामने होते है| और इसलिए वो लोग becteria से एक दम इक्स्पोज़ हो जाते है और इसीलिए उन्हे तुरंत नहाने को कहा जाता है और आज कोरोना के दौर मे हम जब भी घर आढ़े है बाहर से तो हमे नहाने को कहा जाता है  पर फिर भी हमारे पूर्वज उस जमाने मे ये बात कहते ठे और ये भोत बड़ी बात थी इसका मतलब है की हमारे पूर्वज भोत सारे scientific fact जानते थे |                                

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