पानीपत का इतिहास, प्राचीन नाम, पानीपत की लड़ाई | Essay on Panipat City in Hindi

पानीपत का इतिहास, प्राचीन नाम, पानीपत की लड़ाई | Essay on Panipat City in Hindi

पानीपत का इतिहास, प्राचीन नाम "पाण्डुप्रस्थ", पानीपत की लड़ाई, पानीपत का ग्रामीण जीवन | Essay on Panipat City in Hindi| history of panipat hindi

Panipat Ka Etihaas | Panipat Ki Ladaiyan| Panipat Ki Jansankhya 

पानीपत " एक परिचय "

आज हम हरियाणा राज्य के एक ऐतिहासिक जिले पानीपत के बारे में चर्चा करेंगे। पानीपत हरियाणा और उत्तर प्रदेश के बिलकुल बिच में पड़ता है। पानीपत की पूर्वी सीमा उत्तर प्रदेश राज्य की सीमा को छूती है। पानीपत में हरियाणा के अधिकतर करोड़ पति लॉग रहते है। पानीपत हरियाणा का सबसे बड़ा कपडा उत्पादक जिला है। पानीपत में बनने वाले कपडे के उत्पाद जैसे चद्दर, ब्लैंकेट, मैट्स, तकिये, दरी, पायदान,  बेडशीट आदि भारत में ही नहीं अपितु विदेशो में भी निर्यात किये जाते है। क्षेत्र फल के हिसाब से काफी बड़ा जिला है।  पानीपत में बिहार, उत्तर प्रदेश और राजस्थान  जैसे  राज्यों से बहुत लोग रोजगार की तलाश में आते है। पानीपत में बहुत अधिक मात्रा में रोजगार होने की वजह से बहार के लोग यहां रोजगार के लिए आते है और कुछ लोग तो यही बस जाते है।  पानीपत में लगभग हर जाती, व् धर्म के लोग रहते है। पानीपत के गांव  लोग अपने पुराने तौर -तरीको के लिए भी जाने जाते है। पानीपत के गांव  की मातृ भाषा हरियाणवी है।

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पानीपत का इतिहास,
पानीपत " एक परिचय "

 
पानीपत का प्राचीन नाम "पाण्डुप्रस्थ" 

पानीपत के इस प्राचीन नाम का इतिहास हजारो वर्ष पुराना है जिसका उल्लेख महाभारत के इतिहास में किया जा चूका है। महाभारत काल में पांडवो ने पांच शहरो को बसाया था। ये पांच शहर इस प्रकार थे - 

1. इंद्रप्रस्थ ( दक्षिण दिल्ली )

2. बागपत  (उत्तर प्रदेश का एक जिला )

3. स्वर्णप्रस्थ  (सोनीपत ) 

4.  तिलपत या तिलप्रस्थ ( फरीदाबाद का एक क़स्बा )

5.  पाण्डुप्रस्थ  (पानीपत )

जिनमे से पानीपत भी एक था। पांडवो द्वारा बसाये गए पानीपत शहर को तब पाण्डुप्रस्थ के नाम से जाना जाता था। पानीपत देश की राजधानी दिल्ली से 90 किलोमीटर दूर पड़ता है। पानीपत की पूर्वी सीमा पर यमुना नदी है जिसको पर करते ही उत्तर प्रदेश राज्य की सीमा शुरू हो जाती है।  

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बुनकरों का शहर (पानीपत) 

पानीपत में कपडे का उत्पादन बहुत अधिक होता  की भारत के अन्य राज्यों के साथ साथ विदेशो में भी पानीपत में बने हुए हैंडलूम उत्पाद जैसे चद्दर, ब्लैंकेट, मैट्स, तकिये, दरी, पायदान,  बेडशीट आदि निर्यात किये जाते है। पानीपत के हर गांव ,कसबे , सेक्टर में आपको बहुत सारी कपडे की फैक्ट्रिया देखने को मिलती है। पानीपत हरियाणा का सबसे बड़ा कपडा उत्पादक जिला है। कपडे के उत्पादन अधिक होने के कारण पानीपत को बुनकरों का शहर भी कहा जाता है। 

panipat textiles product
पानीपत में बने हुए हैंडलूम उत्पाद 

पानीपत का ग्रामीण जीवन 

पानीपत में अधिकतर लोग गावं में ही बसे हुए है।  शहरी इलाके में केवल वही लोग रहते है जिन्हे अपना कारोबार या रोजगार चलाना होता है। बाकि आम लोगो की पहली पसंद आज भी ग्रामीण जीवन ही है। पानीपत के गांव  के लोगो का जीवन काफी सरल  होता है वे लोग अधिक दिखावे करने में विश्वास नहीं रखते है।  पानीपत के गांव में अधिकतर लोग खेती-बड़ी करते है। जिससे उनका अधिकतर समय अपने खेतो में ही व्यतीत होता है। पानीपत के गावों में रहने वाले लोग पशु-पालन  भी करते है। पानीपत के गांव  लोग अपने पुराने तौर -तरीको के लिए भी जाने जाते है। पानीपत के गांव  की मातृ भाषा हरियाणवी है जोकि एक  खड़ी बोली कहलाती है।  ऐसा भी कहा जाता है की हरियाणा के लोग बहुत ही हाजिर जवाब होते है।

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पानीपत की जनसँख्या 2022 में 

पानीपत जिले की 2022 में अनुमानित जनसँख्या लगभग 15 लाख है।  पानीपत में लगभग सभी धर्मो के लोग रहते है जिनमे सबसे अधिक जनसँख्या हिन्दू है। पानीपत में लगभग 85 % हिन्दू धर्म के लोग रहते है। जबकि  उससे कम सबसे अधिक आबादी पानीपत में मुसलमानों की है जोकि अब लगभग 10 से 11 प्रतिशत तह हो सकती है। अन्य बाकि 4 से 5% जनसँख्या में अन्य सभी धर्मो के लोग आ जाते है जिनमे मुख्या है सिख धर्म के लोग तथा अन्य बाकि ईसाई, जैन, बौद्ध, अघोषित, और अन्य। READ MORE

पानीपत की 3 लड़ाइयां 

पानीपत को ऐतिहासिक नजर से देखा जाये पानीपत भारतीय इतिहास में तीन प्रमुख लड़ाइयों का गवाह रहा  है क्योंकि यहाँ विश्व भर में ज्ञात तीन पानीपत की लड़ाइयां लड़ी गई थी। 

1. पानीपत की पहली लड़ाई 1526 

पानीपत की पहली लड़ाई दिल्ली के सुल्तान इब्राहिम लोदी और बाबर के बीच 21 अप्रैल 1526 को  लड़ी गयी थी । इस लड़ाई में बाबर की सेना ने इब्राहिम लोदी की सेना के एक लाख से ज्यादा सैनिकों को हराया। इस प्रकार पानीपत की पहली लड़ाई ने भारत में बहलुल लोदी द्वारा स्थापित ‘लोदी वंश’ को समाप्त कर दिया।

2. पानीपत की दूसरी लड़ाई  1556 

पानीपत की दूसरी लड़ाई को अकबर और हिन्दू सम्राट हेम चंद्र विक्रमादित्य के बीच 5 नवंबर 1556 को  लड़ी गई थी। सम्राट हेम चन्द्र  उत्तर भारत के राजा थे तथा  हरियाणा के  रेवाड़ी से सम्बन्ध रखते थे। हेम चन्द्र  ने अकबर की सेना को हरा कर आगरा और दिल्ली के बड़े राज्यों पर कब्जा कर लिया था।  इस राजा को विक्रमादित्य के रूप में भी जाना जाता है। यह राजा पंजाब से बंगाल तक 1553-1556 से अफगान विद्रोहियों के खिलाफ 22 युद्धों जीत चुका था और 7 अक्टूबर 1556 को दिल्ली में पुराना किला में अपना राज्याभिषेक था और उसने पानीपत की दूसरी लड़ाई से पहले उत्तर भारत में ‘हिंदू राज’ की स्थापना की थी। हेम चंद्र  की एक बड़ी सेना थी, और शुरूआत  में उनकी सेना जीत रही थी, लेकिन अचानक हेमू की आंख में एक तीर मारा गया और उसने अपनी इंद्रियों को खो दिया। एक हाथी की पीठ पर अपने राजा को न  देखकर उसकी सेना भाग गई। बाद में  मुगलों द्वारा उस पर कब्जा कर लिया और उसका सिर काट दिया। उसके सिर को दिल्ली दरवाजा के लिए काबुल भेजा गया था और उसके  धड़ को दिल्ली में पुराना किला के बाहर लटका दिया गया था। पानीपत की इस दूसरी लड़ाई ने उत्तर भारत में हेमू द्वारा स्थापित ‘हिंदू राज’ को कुछ समय के लिए समाप्त कर दिया।

3. पानीपत की तीसरी लड़ाई 1761 

पानीपत की तीसरी लड़ाई 1761 में अफगान आक्रमणकारी अहमद शाह अब्दाली और पुणे के सदाशिवराव भाऊ पेशवा के तहत मराठों के बीच लड़ा गया था। यह लडाई अहमद शाह अब्दाली ने सदाशिवराव भाऊ को हराकर जीत ली थी। यह हार इतिहास मे मराठों की सबसे बुरी हार थी। इस युद्ध ने एक नई शक्ति को जन्म दिया जिसके बाद से भारत में अग्रेजों की विजय के रास्ते खोल दिये थे। प्रसिद्ध उर्दू शायार मौलाना हली का जन्म भी पानीपत में ही हुआ था। 

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