प्रकृति के बारे में 10 रोचक बातें जो आपको जाननी चाहिए | 10 Amazing Facts About Nature In Hindi

प्रकृति के बारे में 10 रोचक बातें जो आपको जाननी चाहिए | 10 Amazing Facts About Nature In Hindi

Some Interesting Facts Of Nature In Hindi | Importance of Nature in Hindi |10 Amazing Facts About Nature In Hindi

प्रकृति क्या है | प्रकृति का महत्त्व

(What is Nature | Importance of Nature)  और अधिक जाने :-

इस पृथ्वी पर हर वह वस्तु प्रकृति के अंतर्गत आती है जो इंसान के द्वारा नही बनाई गई हैं। या जो  समय के साथ अपने आप निर्मित हुई है । हमारे प्रकृति में हमारे आसपास के वातावरण पेड़-पौधे, जीव-जंतु , पर्वत, नदियां, घास, के मैदान, रेगिस्तान, ज्वालामुखी, ग्लेशियर, रेत, वायु, जल, अग्नि आदि वस्तुएँ सभी प्रकृति की देन है। प्रकृति में जीवित तथा निर्जीव सभी तरह की वस्तुएं आते हैं। जिनमें से जीव-जंतु पेड़-पौधे कीट पतंगे आदि सभी जीवित प्राणी कहलाते हैं तथा इससे अन्य पर्वत पहाड़ नदियां रेगिस्तान आदि निर्जीव कहलाते हैं। ये सभी सजीव तथा निर्जीव वस्तुएं प्रकृति का अभिन्न अंग है जो हम इंसानों को वरदान के रूप में मिली है। यहाँ तक की हम इंसान भी प्रकृति का ही हिस्सा है। 

Amazing Facts About Nature In Hindi
 Importance of Nature

हमारी प्रकृति के बारे में बहुत से ऐसी बाते है जिनके बारे में अधिकतर इंसान जानते नहीं या उनके बारे में सोचते भी नहीं है। हमारी प्रकृति अनेको विचित्र तथ्यों तथा विविधताओं से भरी हुई है। जिसमे एक कोशीय जीवो से लेकर 100 पैरो वाले जीव शामिल है। कुदरत में ऐसे बहुत से पेड़-पौधे ,जीव-जंतु मौजूद है जिनको देखने पर कई बार तो यह बिलकुल काल्पनिक लगता है।  इसीलिए हम आज आपके लिए लेकर आए है प्रकृति से जुड़े कुछ तथ्य और  बाते।

प्रकृति के बारे में आश्चर्यजनक तथ्य  और अधिक जाने :-

1. विकासशील दिमाग

पृथ्वी पर केवल इंसान ही एक ऐसा प्राणी है जिसकी अन्य प्राणियों के जैसे अलग अलग प्रजातियां नहीं पाई जाती। आपने देखा या पढ़ा होगा की हम इंसानो को छोड़कर जितने भी जीव-जंतु या पेड़ पौधे है उनकी एक से ज्यादा प्रजातियां पाई जाती है फिर चाहे वह कोई जलीय जीव हो या कोई आसमान में उड़ने वाले परिंदे हो। सभी एक से ज्यादा प्रजातियों में पाई जाते है।यह भी एक अनोखा रहस्य है की इस संसार में केवल इंसान ऐसे प्राणी है जिन्होंने अपने बुद्धि के बल पर अपना विकास किया है। यदि हम देखें तो हम इंसानों को छोड़कर अन्य किसी भी जीव जंतु या पुराने में इतनी बुद्धि या दिमाग नहीं है जिससे वह अपने आप को विकसित कर सके । प्रकृति ने यह वरदान केवल हम मनुष्य को ही दिया है। 

2. पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत

यह माना जाता है की पृथ्वी पर सबसे पहले जीवन की उत्पत्ति समुन्द्र के पानी में हुए थी। वो यह एक अति सूक्ष्म कोशिका के रूप में हुई जिसे नंगी आंखों से देखना भी मुमकिन नही था। आज आधुनिक यंत्र तथा विज्ञान के होने के बावजूद भी वैज्ञानिक आज तक केवल समुन्द्र का केवल 5% हिस्सा ही अनुसन्धान (रिसर्च) कर पाए है।  हमे आज तक भी नहीं पता की प्रकृति ने समुन्द्र के 95% हिस्से में क्या क्या छुपा रखा है।  

3. सभी जीवों के लिए साधन

प्रकृति में सभी जीव -जन्तुओ के लिए प्रयाप्त मात्रा में भोजन या साधन उपलब्ध है। हमारे प्रकृति में शाकाहारी, मांसाहारी तथा प्रदूषित हवा को भोजन के रूप में लेने वाले पेड़ पौधे भी मौजूद है। हमारी प्रकृति इन सभी के साथ तालमेल बना कर रखती है। जबकि यह काम कोई अन्य या हम इंसान कभी भी नहीं  कर सकते। इसलिए हम कभी भी प्रकृति की बराबरी नहीं कर सकते।  

4. रहस्यात्मक स्थान

यदि इंसानो को यह लगता  है की उन्होंने प्रकृति को पूरी तरह से जान लिया है तो ये उनकी अब तक की सबसे बड़ी ग़लतफ़हमी होगी क्योंकि प्रकृति को पूरी तरह समझ पाना हम इंसानो के बस की बात नहीं है। जब भी हमें ये लगता है की हमने बहुत कुछ जान लिए है तभी प्रकृति कोई न कोई करिश्मा या अजूबा सामने लेकर रख देती है जिसे समझना बहुत मुश्किल होता है।  

5. अंतरिक्ष के रहस्य 

यदि स्पेस की बात की जाए तो यह भी एक तथ्य है की चाँद हमारी धरती से भी छोटा है जबकि सूर्य हमारी पृथ्वी से कई लाख गुना बड़ा है ,फिर भी हमें सूर्य और चाँद धरती से देखने पर हमेशा एक समान आकार के दिखाई देते है। सूर्य हमारे चाँद की दुरी से 400 गुना अधिक दुरी पर स्थित है जबकि चाँद सूर्य से 400 गुना छोटे आकार का है।   और अधिक जाने :-

6. वातावरण तथा मौसम

प्रकृति ने हमें दिन-रात के साथ साथ अलग अलग मौसम भी दिए है जोकि सभी प्राणियों के लिए अलग रूपों में महत्त्वपूर्ण है।  मौसम में परिवर्तन अलग अलग वनस्पतियो तथा कृषि अंकुरों आदि के लिए अति आवश्यक है। इसी तरह यह वन्य जीव जन्तुओ के प्रजनन आदि के लिए भी महत्वपूर्ण होता है।  

7. प्रकृति के अंग

प्रकृति ने हमें वरदान के रूप में  पेड़ पौधे, सूर्य -चाँद ,धुप -छाँव ,भोजन ,जल ,वायु ,नदिया ,पर्वत ,समुन्द्र ,पत्थर, धातु , तथा अनेको आवश्यक पदार्थ प्रदान किये है जो हमें जीवन जीने के लिए तथा विकसित होने के लिए आवश्यक है। जिस तरह एक इंसान के शरीर में बहुत से अलग अलग अंग होते है उसी तरह प्राकृतिक संपदा भी प्रकृति का अंग ही होते है। इसलिए हमे प्राकृतिक संपत्ति को बचाकर रखना चाहिए ।    और अधिक जाने :-

8. डायनासोर का अंत

पृथ्वी पर इंसानों के अस्तित्व से पहले केवल जंगली जीव तथा जानवरों का राज हुआ करता था। हां से लाखों करोड़ों साल पहले पृथ्वी पर डायनासोर नामक विशालकाय जीवों का राज था। डायनासोर पृथ्वी पर लगभग 15 करोड साल तक जीवित रहे। लेकिन एक विशालकाय उल्का पिंड जब पृथ्वी से टकराया तो उससे पूरी पृथ्वी का वातावरण डगमगा गया जिससे विशालकाय डायनासोर की पूरी प्रजाति समाप्त हो गई। पृथ्वी से उल्कापिंड के विनाशकारी टकराव में केवल वही जीव बच पाए थे जो या तो समंदर की गहरे पानी में रहते थे या जमीन के नीचे सुरंग बनाकर रहते थे।

9. जीवो का असामान्य आकार

इंसानों की पत्ती से पहले जो भी इस पृथ्वी पर आते थे जैसे कछुआ मगरमच्छ छोटे-मोटे कीट पतंगे मेंढक सांप आदि। उनका आकार आज के मुकाबले बहुत बड़ा होता था । ऐसा इसलिए होता था क्योंकि पहले पृथ्वी पर केवल घने जंगलों और अब पेड़ पौधों की अधिकता तेजी से पृथ्वी पर ऑक्सीजन कब लेवल बहुत ज्यादा था। ऑक्सीजन का लेवल ज्यादा होने की वजह से एक नॉर्मल यह सामान्य जीव का आकार अपने सामान्य से कई गुना बड़ा हो जाता है। इसलिए आज भी वैज्ञानिकों को ऐसे ऐसे जीवो के बड़े-बड़े अवशेष या कंकाल मिलते हैं जो आज के समय में बहुत छोटे दिखाई देते हैं जैसे सांप मेंढक या कीट पतंगे आदि।   और अधिक जाने :-

10. एककोशीय जीव से विकसित इंसान 

एक कोशिका के रूप में समुद्र के पानी में उत्पन्न हुए जीव से एक विकसित इंसान के रूप में आने तक प्रकृति का बहुत बड़ा योगदान है। प्रकृति ने सबसे पहले ऐसे जीव की रचना की जो केवल समुद्र के पानी में रह सकता था उसके पश्चात वह जीव विकसित होकर ऐसे जीव मैं बदल गया जो समुद्र तथा पृथ्वी दोनों पर रह सकता था। तीसरा पृथ्वी ने ऐसा बदलाव किया है कि जीव समुद्र से निकलकर पृथ्वी पर सांस ले सकता और घूम सकता था। इसे हम चार पैर वाला जीव भी कर सकते हैं। उससे अगला प्रकृति ने ऐसा जीव की रचना की जो अपने केवल दो पैरों पर खड़ा हो सकता था लेकिन उसमे आधे गुण एक जानवर वाले थे। पांचवा प्रकृति ने आधे इंसान और आधा जानवर जैसे  एक विक्षिप्त मनुष्य की रचना की जैसे कि एक अविकसित इंसान। छठा वह अविक्षित जीव जोग इंसान के रूप में आ चुका था उसको पूर्ण विकसित कर दिया गया जैसे एक पूर्ण शरीर वाला इंसान लेकिन तब तक उसमें मानसिक स्थिरता दशा संतुलन नहीं हो पाया था। इसके बाद अंत में एक खेल तथा संतुलित मानसिकता वाले भी इंसान का उदय होता है जोकि अपनी बुद्धि के बल पर खुद को कितना भी विकसित कर सकता था।

निष्कर्ष ( CONCLUSION )

अतः  यह बात स्पष्ट है की जो भिन्नता तथा विविधता प्रकृति में पाई जाती है यह कही और नहीं मिल सकती।  इसलिए हमें हमेशा प्रकृति के प्रति कृतज्ञ होना चाहिए और जितना अधिक हो सके हमें पेड़- पौधे लगाने  चाहिए, नदियों के पानी को स्वच्छ रखना चाहिए ,क्योंकि ये सभी प्रकृति की धरोहर होती है जो हमारे लिए बहुत उपयोगी होती है।   और अधिक जाने :-


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