मकर सक्रांति कब है 2023 | मकर सक्रांति का शुभ मुहूर्त | मकर संक्रांति का महत्व |
MAKAR SAKRANTI 2023 IN HINDI | MAKAR SAKRANTI KAISE MANAYA JATA HAI|MAKAR SAKRANTI FESTIVAL
मकर संक्रांति
हमारा भारत देश को त्यौहारों का देश माना जाता है क्योंकि हमारे देश में हर दिन कोई न कोई त्यौहार, व्रत या कोई विशेष दिवस अवश्य होता है। भारत की अधिकतम जनसंख्या हिंदू धर्म से संबंधित है इसलिए भारत में हिंदू धर्म के सभी त्यौहार जैसे दिवाली, नवरात्री, होली, तीज, रक्षा बंधन ,आदि बड़ी धूमधाम से मनाई जाते हैं। ऐसा ही एक और त्यौहार जिसे हम मकर संक्रांति के नाम से जानते हैं . हिंदू धर्म में मकर संक्रांति का विशेष महत्व है. इस दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं. इसे मकर संक्रांति कहते हैं. साल 2023 में मकर संक्रांति 15 जनवरी को है | और अधिक पढ़े -
मकर संक्रांति क्यों मनाया जाता है | मकर संक्रांति का महत्व
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धर्म ग्रंथों के मुताबिक, इस दिन सूर्य देव धनु राशि को छोड़ कर मकर राशि में प्रवेश कर उत्तरायण में आते हैं. यह सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है. मकर संक्रांति का त्यौहार किसानों के लिए बहुत अधिक महत्वपूर्ण होती है, इसी दिन सभी किसान अपनी फसल काटते है. मकर संक्रांति भारत का सिर्फ एक ऐसा त्यौहार है जो हर साल 14 या 15 जनवरी को ही मनाया जाता है. यह वह दिन होता है जब सूर्य उत्तर की ओर बढ़ता है. हिन्दूओं के लिए सूर्य एक रोशनी, ताकत और ज्ञान का प्रतीक होता है. मकर संक्रांति त्यौहार सभी को अँधेरे से रोशनी की तरफ बढ़ने की प्रेरणा देता है. एक नए तरीके से काम शुरू करने का प्रतीक है. मकर संक्रांति के दिन, सूर्योदय से सूर्यास्त तक पर्यावरण अधिक चैतन्य रहता है, यानि पर्यावरण में दिव्य जागरूकता होती है, इसलिए जो लोग आध्यात्मिक अभ्यास कर रहे है, वे इस चैतन्य का लाभ उठा सकते है।
मकर सक्रांति की कथा व् मान्यता
(ASSUMPTION OF MAKAR SAKRANTI)
हिन्दू महाग्रंथों में किये उल्लेख के अनुसार आज के दिन पर भगवान् सूर्य अपने पुत्र भगवान् शनि के पास जाते है, उस समय भगवान् शनि मकर राशि का प्रतिनिधित्व कर रहे होते है. पिता और पुत्र के बीच स्वस्थ सम्बन्धों को मनाने के लिए, मतभेदों के बावजूद, मकर संक्रांति को महत्व दिया गया. ऐसा माना जाता है कि इस विशेष दिन पर जब कोई पिता अपने पुत्र से मिलने जाते है, तो उनके संघर्ष हल हो जाते हैं और सकारात्मकता खुशी और समृधि के साथ साझा हो जाती है. इसके अलावा इस विशेष दिन की एक कथा और है, जो भीष्म पितामह के जीवन से जुडी हुई है, जिन्हें यह वरदान मिला था, कि उन्हें अपनी इच्छा से मृत्यु प्राप्त होगी. जब वे बाणों की सज्जा पर लेटे हुए थे, तब वे उत्तरायण के दिन की प्रतीक्षा कर रहे थे और उन्होंने इस दिन अपनी आँखें बंद की और इस तरह उन्हें इस विशेष दिन पर मोक्ष की प्राप्ति हुई थी।
मकर सक्रांति का शुभ मुहूर्त
मकर संक्रांति 2023 तिथि : 15 जनवरी, 2022 (रविवार)
पुण्य काल मुहूर्त : 07:15:13 से 12:30:00 तक
अवधि : 5 घंटे 14 मिनट
महापुण्य काल मुहूर्त : 07:15:13 से 09:15:13 तक
अवधि : 2 घंटे 0 मिनट
संक्रांति पल : 14 जनवरी को 20:21:45
मकर संक्रांति पूजा विधि तथा मंत्र
मकर संक्रांति के दिन प्रातः काल शुभ मुहूर्त में स्नान आदि कर लें. यदि स्नान करने वाले पानी में काला तिल, थोड़ा सा गुड़ और गंगाजल मिला लें तो उत्तम होगा. स्नान के बाद साफ-सुथरा वस्त्र धारण कर तांबे के लोटे में जल लें. इसमें काला तिल, गुड़, लाल चंदन, लाल पुष्प, अक्षत् आदि मिला कर सूर्य को अर्पित करते हुए अर्घ्य दें. अर्घ्य देते समय सूर्य मंत्र का जाप करें. और अधिक पढ़े -
सूर्य देव के मंत्र: ॐ सूर्याय नम:,
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः
ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:
मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन इनमें से किसी एक मंत्र के जाप से भक्तों में तेज और ओज की वृद्धि होती है. उन पर भगवान सूर्य की कृपा होती है और सूर्य देव का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
मकर सक्रांति कैसे मनाई जाती है |
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मकर सक्रांति का यह त्यौहार भारत के सभी राज्यों में भिन्न तरीको से मनाया जाता है। जैसे हरियाणा जैसे राज्यों में इस दिन गुड़ और तिल के लड्डू बनाये और खाये जाये है। ऐसे ही इस दिन शक्कर और देसी घी मिलाकर खाने की रिवाज भी है। गुजरात जैसे राज्य में मकर सक्रांति के इस दिन को पतंग उड़ाकर मनाया जाता है। कुछ स्थानों पर तो पतंग उड़ने की प्रतिस्पर्धा लगायी जाती है। वही दूसरी और कुछ लोग इस दिन गंगा या यमुना जैसी पवित्र नदियों या पवित्र जल कुंडो में पवित्र स्नान करना अच्छा समझते है।
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