नरक चतुर्दशी क्यों और कैसे मनाई जाती है 2022 | छोटी दिवाली कब है 2022

नरक चतुर्दशी क्यों और कैसे मनाई जाती है 2022 | छोटी दिवाली कब है 2022

NARAK CHATURDASHI IN HINDI | NARAK CHATURDASHI KAB HAI 2022 | NARAK CHATURDASHI KYO MANAYI JATI HAI | NARAK CHATURDASHI  KA MAHATVA  | 

 नरक चतुर्दशी का महत्त्व 

नरक चतुर्दशी दिवाली से एक दिन पहले मनाया जाने वाला त्यौहार है, इसे हम छोटी दिवाली के नाम से भी जानते हैं। इसे रूप चौदस या नरक चौदस भी कहा जाता है । रात के समय घर की दहलीज पर तथा सभी जगहों पर दिए  जलाये जाते है।  इस दिन यमराज की पूजा करने का भी विधान है।इस  दिन नरकासुर नामक राक्षस का वध करके भगवान श्री कृष्ण ने 16000 स्त्रियों को उनके कैद से मुक्त कराया था। नरक चतुर्दशी इस साल 23 अक्टूबर 2022 मनाई जाएगी।


NARAK CHATURDASHI 2022
 नरक चतुर्दशी 24,अक्टूबर 2022

नरक चतुर्दशी कैसे मनाई जाती है  

इस दिन शुभह उठकर पहले स्नान किया जाता है उसके बाद तेल से लगाना भी शुभ होता है। स्नान करने के बाद जल से सूर्यदेव को भी नमस्कार किया जाता है। रात के समय घर की दहलीज पर तथा सभी जगहों पर दिए  जलाये जाते है। तथा इस दिन मृत्यु के देवता यमराज की भी पूजा कि जाती है। माना जाता है की इस दिन हनुमान जी ने माता अंजनी के गर्भ से जन्म लिया था। इसलिए आज के दिन हनुमान जी की उपासना भी की जा सकती है। 

नरक चतुर्दशी कथा (कहानी) 

पुराने समय में रंतिदेव नामक एक प्रतापी राजा हुआ करते थे। स्वाभाव से बड़े ही धर्मात्मा होने के साथ-साथ एक महात्मा की भांति शांत रहते थे। उनकी मृत्यु का जब समय आया तो यमराज उनके पास उनके प्राण लेने के लिए पहुंचे। तब यमराज से ज्ञात हुआ कि रंतिदेव को मोक्ष प्राप्त नहीं हुआ है बल्कि नरक दिया गया है। यह सुनकर रंतिदेव को आश्चर्य हुआ और उसने यमराज से पूछा कि उसने कभी कोई बुरा काम नहीं किया है तो उसे नरक क्यों भोगना पड़ेगा। तब यमराज ने उसे बताया कि एक बार अज्ञानता वश तुम्हारे दरबार से एक ब्राम्हण भूखा लौट गया था। यही कर्म आपके लिए नर्क का योग बनाता है। यह सुनकर रंतिदेव ने युवराज से कुछ समय की मोहलत मांगी उनके अच्छे कर्मों को देखते हुए यमराज ने उन्हें कुछ समय का अवसर दिया। इसके बाद राजा रंतिदेव ने 17 हजार ब्राह्मणों को भोज कराया तथा उनसे अज्ञान वश हुए अपराध की क्षमा मांगी। राजा रंतिदेव के इस कार्य से ब्राह्मण बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने राजा को मोक्ष का आशीर्वाद दिया। वह दिन कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की चौदस का दिन था इसलिए उस दिन से इस दिन को नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाने लगा।

नरक चतुर्दशी क्यों मनाई जाती है। 

इसके अतिरिक्त नरक चतुर्दशी की एक और कथा प्रचलित है जिसमें भगवान श्री कृष्ण ने अपनी पत्नी की सहायता से नरकासुर नामक राक्षस का वध किया था। नरकासुर राक्षस अधिक शक्तिशाली होने के वजह से देवताओं तथा अन्य सभी प्राणियों को परेशान करता था उसके अत्याचारों से तंग आकर सभी देवता भगवान श्री कृष्ण के पास पहुंचे। देवताओं की पुकार सुनकर भगवान श्री कृष्ण ने उनकी सहायता करने की सोची । नरकासुर राक्षस को यह वरदान प्राप्त था कि केवल एक स्त्री ही उसका वध कर सकती है इसलिए कार्तिक महीने की चौदस को भगवान श्री कृष्ण ने अपनी पत्नी की सहायता से नरकासुर का वध कर दिया और उनकी कैद से 16000 स्त्रियों को मुक्त कराया। इन 16000 स्त्रियों को ही भगवान श्री कृष्ण की पत्नियां भी कहा जाता है

नरक चतुर्दशी को किसकी पूजा की जाती है। 

तथा इस दिन मृत्यु के देवता यमराज की भी पूजा के साथ साथ भगवान श्री कृष्ण तथा माता काली की पूजा भी की जाती है। माना जाता है की इस दिन हनुमान जी ने माता अंजनी के गर्भ से जन्म लिया था। इसलिए आज के दिन हनुमान जी की उपासना भी की जा सकती है। 


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