ANDAMAN AND NICOBAR ISLAND | अंडमान और निकोबार द्वीप समूह
भारत का एकमात्र सक्रीय ज्वालामुखी " बैरन ज्वालामुखी " | सेल्यूलर जेल | SELULAR JAIL
अंडमान और निकोबार 575 द्वीपों का एक समूह है जिनमें से पांच सौ से ज्यादा द्वीप अभी तक इंसान रहित हैं यहां पर ऐसी जनजातियां मौजूद है जो कि आज तक पाषाण युग में जी रही है और बाहरी दुनिया से पूरी तरह से कटी हुई है। प्रकृति की सुंदरता के बीच में भारत का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी नीले भी यही पर मौजूद है। समुंदर के बीच में बिखरी हुई मोतियों की माला से यह है अंडमान निकोबार द्वीप समूह। उत्तरी हिस्सा अंडमान द्वीप समूह और दक्षिणी द्वीप समूह निकोबार के नाम से जाने जाते हैं।
अंडमान और निकोबार द्वीप समूह |
तुलनात्मक रूप से आकार में बड़े अंडमान द्वीप समूह में जहां 325 द्वीप आते हैं वहीं निकोबार समूह में 247 द्वीप जाने जाते हैं। इन दोनों द्वीप समूह को अलग करने वाले समुद्री हिस्से को 10 डिग्री चैनल के नाम से जाना जाता है। साउथ अंडमान में स्थित पोर्ट ब्लेयर यहां की राजधानी एंट्री प्वाइंट और सबसे बड़ा शहर है। यहां पर केवल भारत की धरती से ही समुद्री यात्रा से पहुंचा जा सकता है। यह द्वीप समूह भौगोलिक रूप से भारत की बजाय म्यांमार और इंडोनेशिया के ज्यादा नजदीक पड़ते हैं। इनकी विशिष्ट लोकेशन इन्हें दक्षिण एशिया में भारत के लिए सामरिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण जगह बनाती है भारत की सबसे दक्षिणी जगह यही पर मौजूद है जिसे इंदिरा पॉइंट के नाम से जाना जाता है।
भारत का एकमात्र सक्रीय ज्वालामुखी " बैरन ज्वालामुखी "इन्ही सुन्दर द्वीपों में से एक पर मौजूद है भारत का ही नहीं बल्कि साउथ एशिया का एकमात्र सक्रिय बैरन ज्वालामुखी। बैरन आईलैंड पर स्थित होने की वजह से इस वोल्केनो को बैरन आईलैंड वोल्केनो का नाम दिया गया है। कुदरती की कारीगरी प्रकृति के कहर से पूरी तरह सुरक्षित नहीं रह पाते हैं। सन 2004 के साल में आई महा विनाशकारी सुनामी के कारण इन द्वीपों का कुछ हिस्सा हमेशा के लिए समुंदर के आगोश में समा गया था। लेकिन इस सुनामी ने अपने आप को आधुनिक कहने वाले हम इंसानों को एक तरह से आईना भी दिखा दिया था। सुनामी के आने और इतने बड़े पैमाने पर तबाही मचाने को हम तमाम वैज्ञानिक टेक्नोलॉजी के बावजूद समय रहते नहीं जान पाए जबकि उसी प्राकृतिक आपदा को यहां के बेहद आदि और आज तक पाषाण युग में जी रहे आदिवासियों ने पहले से ही भांप लिया था। और यही कारण था कि उन्हें मोटे तौर पर कोई बहुत गंभीर नुकसान इस सुनामी की वजह से नहीं पहुंच पाया था।
यहां पर मुख्य चित्रकार की जनजातीय समुदाय के लोग निवास करते हैं। लेकिन इनमें से एक ऐसी जनजाति है जो बेहद डरावनी और रहस्यमई है और वह है नीली जनजाति। यह दुनिया की सबसे खतरनाक और ऐसी जनजाति है जिसके बारे में हम बहुत ही कम जानते हैं। 30000 सालों से भी पहले से यहां पर रह रहे इन आदिवासियों से अब तक संपर्क करने के सारे प्रयास व्यर्थ साबित हुए हैं। भारत के केंद्र शासित प्रदेशों में से एक यह द्वीप समूह ऐतिहासिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण रहे हैं। इनके प्राकृतिक संसाधनों एवं सामरिक महत्व के कारण यूरोप के देश 18 वीं शताब्दी से ही इन पर अपने अधिकार को लेकर लालायित रहे हैं। आम भारतीय जनमानस में इन समूहो अपनी प्राकृतिक सुंदरता के बजाय एक स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान के प्रतीक के रूप में ज्यादा पहचाने जाते हैं।
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इसकी वजह है अंग्रेजी शासन की दमनकारी नीतियों का सबसे ज्वलंत प्रतीक इसके बावजूद अंग्रेज आजादी के दीवानों का हौसला तोड़ने में नाकाम रहे तो 1896 में एक जेल का निर्माण शुरू हुआ। सेल्यूलर जेल के नाम से जानी जाने वाली इस दिल की कोठारिया बेहद तंग थी जेल में बंद स्वतंत्रता सेनानियों को बेहद कठिन यातनाओ से गुजरना पड़ता था और उन पर अंग्रेजी शासन द्वारा काफी अत्याचार भी किए जाते थे। उस दौर को गुजरे हुए जमाना भी चुका है। आज के अंडमान निकोबार आईलैंड्स अपनी खूबसूरती की हद से भी ज्यादा सुंदर समुद्री तटों यानी बीच के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। नीले रंग का आसमान उस पर बेतरतीब से पीते हुए रूही जैसे बादल आंखों के सामने दूर तक फैला हुआ नीले रंग का समुंदर और पैरों तले सफेद रंग की रेत। यहां के समुद्री तट पर खड़े होकर जो अलौकिक अनुभव होता है उसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता। उसे सिर्फ वहां मौजूद रहकर महसूस किया जा सकता है। गोताखोरी करने के शौकीनों के लिए यह समुद्री जीवो के संसार को बेहद नजदीक से देखने का बेहतरीन अवसर है। तो वही जंगली जीवन में रुचि रखने वालों को यहां के हरे भरे और प्राकृतिक संपदा से भरपूर जंगल खुला आमंत्रण देते हैं।
अंडमान और निकोबार द्वीप समूह |
हालांकि जंगलों और आदिवासियों को बचाने के लिए ज्यादातर जगहों पर जाना पूरी तरह से प्रतिबंधित है। इसके अलावा ऐतिहासिक महत्व और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े हुए कई प्रसिद्ध स्थल भी हर साल लाखों पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करते हैं। बाकी की दुनिया के साथ प्रकृति के शुद्ध खजाने यह द्वीप धीरे-धीरे आधुनिक बनाए जा रहे हैं। लोगों के जीवन स्तर को सुधारने के लिए आधुनिकता और विकास आज के समय की काफी हद तक जरूरत भी है। साथ ही हमें यह भी ध्यान रखना होगा की कही हम आधुनिकता के नाम पर इन द्वीपों के प्राकृतिक सौन्दर्य को कम न कर दें।
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