विज्ञान के नुकसान | Bad effect of Science in hindi

विज्ञान के नुकसान | Bad effect of Science in hindi

विज्ञान के बुरे प्रभाव, विज्ञान की हानियाँ, विज्ञान के हमारे जीवन पर बुरे प्रभाव, विज्ञान के दुष्प्रभाव, विज्ञान के दुरूपयोग  

What is the negative effect of science and technology? 

 विज्ञान का महत्त्व  

आज का युग विज्ञानं का युग है। पिछले कुछ ही दशकों में विज्ञानं ने बहुत अधिक तरक्की कर ली है जिसके कारण आज हमारे आस पास हर जगह पर विज्ञानं से जुड़ा कोई न कोई पहलु मिल ही जाता है। वैसे तो विज्ञानं ने मानव के जीवन को बहुत सरल बना दिया है। आज के समय में छोटी  छोटी तथा बड़ी से बड़ी समस्या का समाधान विज्ञानं के पास मिल ही जाता है। आज के विज्ञानं ने वह कार्य भी कर दिखाया है जो कभी असंभव प्रतीत होते थे।


 
विज्ञान के हमारे जीवन पर प्रभाव 

आज के समय हम खाने से लेकर पहनने तक विज्ञानं से घिरे हुए है। आधुनिक विज्ञानं के सबसे उत्तम उदाहरणों में ,मोबाइल फ़ोन ,कम्प्यूटर्स ,वायरलेस तकनीक ,इंटरनेट सोशल मीडिया ,के साथ साथ हर क्षेत्र ,कृषि ,उद्योग ,व्यापार ,शिक्षा ,चिकित्सा आदि सभी में विज्ञानं का अहम् योगदान रहा है। देखा जाए तो वर्तमान समय में विज्ञान हमारी अहम् जरुरत बन चूका है। विज्ञानं ने मनुष्य के जीवन स्तर को बहुत ऊँचा उठा  दिया है। लेकिन इसके बाद भी विज्ञानं से जुड़े  कुछ ऐसे पहलु भी है जिनको देखकर लगता है की विज्ञानं हमेशा सही नहीं होता। 

विज्ञानं के प्राकृतिक तथा मानव जीवन पर कुछ बुरे प्रभाव भी  होते है जिनके बारे में हमें अवश्य जान लेना चाहिए।   CLICK HERE TO READ IN ENGLISH

 विज्ञान के बुरे प्रभाव :- 

BAD EFFECTS OF SCIENCE AND TECHNOLOGY

1. प्लास्टिक का अत्यधिक उपयोग :-

 विज्ञानं में उन्नत तकनीकों के वजह से आज हम सिंगल उसे प्लास्टिक पैकिंग का फायदा  मिलता है। लेकिन आपको शायद पता ही होगा की प्लास्टिक एक बहुत जटिल कृत्रिम पदार्थ  होती है जिसे नष्ट  नहीं किया जा सकता। तो ऐसे में यह एक बार बन जाती है तो यह हमारे लिए भूमि प्रदुषण ,जल प्रदुषण ,का कारण बनती है। क्योंकि लोग एक बार इस्तेमाल करके इसे फेंक देते है जिससे यह कभी भूमि पर तो कभी नदियों, नालों तथा समुन्द्र में तैरती रहती है।  इसके कारण भूमि पर चरने वाले जीव जन्तुओ तथा समुन्द्र या पानी में रहने वाले जलीय जीवो को बहुत परेशानी का सामना करना  पड़ता है।

 2. पारिवारिक सम्बन्धो का आभाव :-

जब से अत्यधिक तकनीकों से बने मोबाइल फ़ोन बने है तब से इंसान आपस में आमने सामने न मिलकर केवल अपने वायरलेस उपकरणों के माध्यम से सोशल मीडिया पर अपने से हजारो किलोमीटर दूर बैठे व्यक्तियों से अधिक मेल मिलाप  करते है जबकि अपने सामने  वाले व्यक्ति को नजरअंदाज कर देते है। इसलिए विज्ञानं के इस अविष्कार से हमारे पारिवारिक रिश्तो में कमी होती जाती रही है। हम अपने परिवार को समय न देकर कई घंटो तक अपने कंप्यूटर या फ़ोन में लगे रहते है।  

3. आलस्य को बढ़ावा :-

आज  हर कार्य विज्ञानं द्वारा निर्मित अत्याधुनिक मशीनों के द्वारा बहुत आसान हो गया है। इसलिए किसी भी व्यक्ति को कोई भी जटिल काम करने के लिए अधिक मशक़्क़त नहीं करनी पड़ती। तकनीक की अधिकता के कारण हम इतने आलसी हो चुके है की अपने बिस्तर से उठे बिना ही हम अपने परिवार के किसी सदस्य को फोन करके बात कर सकते है। आज छोटे से छोटे और बड़े से बड़ा काम के लिए तकनिकी मशीने आ चुकी है जिन्हे हम एक जगह बैठे बैठे चला सकते है तथा अपने हर तरह के कार्यो को कर सकते है। 

4. अत्यधिक प्रदुषण का जनक :-

आज पुरे विश्व में इतने अधिक ईंधन से चलने वाले वाहन हो चुके है की प्रतिदिन  हर देश या शहर में आपको आसानी से सड़क जाम  देखने को मिल जाएगा। यह सब विज्ञानं के उन्नति के कारन ही संभव हुआ है। लेकिन इसके साथ साथ ये वहां हर क्षण इतना अधिक धुआं उत्पन्न कर देते है जिससे हमारी जलवायु बहुत अधिक प्रदूषित हो जाती है।  

5. श्रम रोजगार में कमी :- 

जब सभी कार्य मशीनों के द्वारा होने लगे  है तो बहुत से श्रमिकों का रोजगार बहुत कम हो चूका है। क्योंकि एक मशीने बिना रुके कई सो मजदूरों का काम अकेले ही कर सकती है। इसलिए मशीनीकरण श्रमिक मजदूरों के लिए अभिशाप बन गयी है।  

6. प्रकृति का नुकसान :- 

विज्ञानं अपनी उन्नत तकनीकों के द्वारा हमारी प्रकृति को बहुत नुकसान पहुंचा रहा है। आपने देखा होगा की आजकल मशीनों द्वारा प्राकृतिक सम्पदाओं के साथ छेड़छाड़ करके मनुष्य अपने स्वार्थ से पूर्ण कार्यो को पूरा कर रहा है। जिसमे अत्यधिक प्रदूषण ,जंगलो की कटाई ,पहाड़ों को  काटना ,जगह जगह पर खनन करके वह हमारी मदर नेचर के साथ खिलवाड़ कर रहा है।  

7. घातक बीमारियों को बढ़ावा :- 

विज्ञानं की तरक्की के कारण हमारे जीवन के लिए आवश्यक वस्तुएँ भी इतनी प्रदूषित हो चुकी है उनके सेवन करने से इंसानो में बीमारिया बहुत बढ़ने लगी है। उद्योगों तथा वाहनों से निकलने वाले जहरीले धुंए से पैदा होने वाली घातक बीमारिया जैसे।, दमा ,अस्थमा ,कैंसर ,और भी कई तरह के चमड़ी के रोग उत्पन्न  होने लगे है।  

अतः विज्ञानं ने मानव जीवन को जितना अधिक सुविधाजनक  बनाया है उतना ही यह हमारे जीवन मूल्यों के लिए तथा हमारी प्रकृति के घातक साबित हो रही है। अतः हमें अपनी प्रकृति तथा पर्यावरण को बचाने के लिए विज्ञानं के ऐसे आविष्कारों का विरोध करना चाहिए जिनसे हमारे प्रकृति का नुकसान हो। क्योंकि हमारे जीवन के होने में प्रकृति का योगदान विज्ञानं से कही अधिक रहा है

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