कर्म क्या है, क्या है कर्म का सिद्धांत | WHAT IS KARMA IN HINDI

कर्म क्या है, क्या है कर्म का सिद्धांत | WHAT IS KARMA IN HINDI

कर्म क्या है | कर्म की परिभाषा क्या है | कर्म सिद्धांत क्या होता है। 

What is Karma In Hindi | Karma Principle in Hindi

कर्म क्या है 

कर्म का सीधा ओर आसान अर्थ निकाला जाए तो यह इंसान के द्वारा किया गया कोई भी काम या कार्य  होता है। कोई भी व्यक्ति इस संसार में अच्छे तथा बुरे काम करने के लिए स्वतंत्र है तो उसी के आधार पर कर्म का सिद्धांत कार्य करता है। आपने हमेशा सुना ही होगा की हम जैसा कर्म करेंगे वैसा ही फल हमको मिलेगा फिर चाहे वह अच्छे का फल हो या बुरे कर्म का।  read more

इस शब्द का अलग अलग परिस्थितियों में हमेशा अलग ही मतलब निकलता है जैसे संस्कृत में इसका मतलब केवल कार्य मात्र से होता है जैसे काम हम प्रतिदिन करते है।  लेकिन आध्यात्मिक या वैज्ञानिक नजरिये से देखा जाए तो आपके अतीत कर्म आपके वर्तमान कर्म का कारण बनते है जबकि आपके वर्तमान के कर्म आपके भविष्य कर्म के लिए कारण बनकर सामने आते है। कहने का भाव यह है की आपके द्वारा किया गया हर काम आपके पिछले काम  नतीजा हो सकता है।  

कर्म क्या है
कर्म क्या है
कर्म और भाग्य का सम्बन्ध 

अगर कर्म को हम भाग्य या नियति से समबन्धित करके देखते है तो ये दोनों एक दूसरे के पूरक की तरह लगते है जैसे कोई कहता है की कर्म ही भाग्य का निर्माता है यानिकि हम जिस तरह का काम करते है वैसा ही वह हमारे भाग्य को प्रभावित करता है। यह जरुरी नहीं की अगर आपकी किस्मत अच्छी हो तो आपको कोई भी कर्म करने की आवश्यकता नहीं होगी। जैसे की यदि एक विद्यार्थी सरकारी नौकरी पाना चाहता है तो उसे उसके लिए पढाई (कर्म ) तो करनी ही पड़ेगी नहीं तो वह कितनी भी अच्छी किस्मत का  मालिक क्यों न हो बिना योग्य बने वह उस नौकरी को नहीं पा सकता।   read more

कर्म से संभंधित एक धारणा  यह भी है की आज हम जैसे भी है वो हमारे पिछले जन्म के कर्मो का ही परिणाम है। यह इस धारणा को साबित करता है कि जो भी काम हम करते है या जो भी अच्छा या बुरा कर्म हम करते है हमें उसका परिणाम हर हाल में भुगतना होता है। यदि कोई व्यक्ति यह सोचता है की उसे उसके बुरे कर्मो अंजाम नहीं भोगना होगा तो यह उसकी सबसे बड़ी भ्रान्ति होगी। 

हर इंसान कर्म के सामान्य से सिद्धांत को जानते हुए भी पता नहीं क्यों बुरे कामो से खुद को दूर नहीं रख पाता है और बाद में मंदिर या मस्जिदों में जाकर ये समझता है की उसने अपने कर्म के  परिणाम से मुक्ति पा ली है। लेकिन हमें ये समझने की जरुरत है की इसमें ईश्वर का कोई हस्तक्षेप होता ही नहीं ये तो आपकी नियति का खेल है की जो आप इस संसार को देते है वही आपको वापस मिलता है इसके विपरीत जो कुछ भी आप इस संसार से लेते है वह भी एक न एक दिन आपको वापिस मिल ही जाता है। इसिलए हमेशा अच्छे कर्म करते रहिये आपको फल भी अच्छा ही मिलेगा।  read more

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