WHAT IS DEMOSTRATION - प्रदर्शन एक भ्रामक

WHAT IS DEMOSTRATION - प्रदर्शन एक भ्रामक

DEMOSTRATION -

 प्रदर्शन एक भ्रामक

 

हमारे देश में  अधिकतर लोग इस भ्रम  से ग्रस्त है की किसी भी काम का व्यर्थ प्रदर्शन उनकी वास्तविक स्थिति को ऊँचा दिखा सकता है।  इसमें ज्यादा वही लोग शांमिल होते है जो सामान्यतया गरीब या माध्यम वर्ग से जुड़े है। पता नहीं क्यों लोग इस  भ्रम में रहते है की अपने समाज में वह अपनी ऊँची शख्शियत बनाने या दिखाने (प्रदर्शन) के लिए फालतू के व्यर्थ खर्चो पर अत्यधिक धन को खर्च करके खुद को समाज की नज़रो में ऊँचा साबित कर सकते है।  

यह दिखावे (प्रदर्शन) का भ्रम हर तबके के लोगो में हो  चाहे वह कोई गरीब हो या कोई अमीर व्यक्ति हर कोई खुद को दुसरो से बढ़कर दिखाना की कोशिश करता है। फर्क केवल इतना ही है की एक अमीर व्यक्ति हर छोटी छोटी खुशियों के अवसरों पर पैसा की बर्बादी करता है उन्हें तो बस एक मौका चाहिए होता है की कब ऐसा अवसर आए और समाज के सामने अपनी हैसियत को ऊँचा दिखाने (प्रदर्शन) को मिले। इसके विपरीत जब कोई माध्यम वर्ग के लोगो द्वारा किसी  भी अवसर पर अपने पैसा का रॉब तथा रुतबा दिखाने का मौका मिले। वे हमेशा किसी शादी ब्याह में तथा जांदिवस की पार्टियों में अपने ज्यादा से ज्यादा पैसो को खर्च करके अपनी ऊँची छवि बनाना चाहते है।  

प्रदर्शन की हद तो तब हो जाती है जब कोई गरीब परिवार भी अपने खुशियों के अवसरों पर अपनी आय से ज्यादा का खर्च करके  खुद की हैसियत को बहुत बढ़ा चढ़ा कर दिखाना (प्रदर्शन) चाहते है। आपने प्रायः देखा होगा की शादी या नया समारोह में गरीब लोग पैसा उधार या कर्ज़े पर लेकर भी अपने समारोह को ज्यादा से ज्यादा अच्छा तथा महंगा दिखाने की कोशिश करते है ताकि अन्य समाज के लोगो की नज़रों में उनकी इज्जत अधिक बनी रहे। 

हम सब इस बात से भली भांति परिचित है की किसी भी चीज का व्यर्थ तथा झूठा दिखावा (प्रदर्शन) उसकी वास्तविकता को नहीं बदल सकता है लेकिन फिर भी जाने क्यों लोग इससे बाज़  नहीं आते। क्योंकि शायद दिखावे की ये आदत हमारे इस समाज में इस कदर स्वीकार्य हो चुकी है की अब ये एक आम बात से लगती है। शायद ये हमारी एक तरह की प्रवृति बन चुकी है यदि हम खुद को अच्छा या महंगा नहीं दिखा सकते तो हम दुसरो के मुकाबले में कम की आंके जाएंगे।  

हमारा मनोविज्ञान भी शायद अब यही समझता है की किसी भी अवसर पर  अधिक से अधिक धन को  खर्च करके ही हमारी पहचान ऊँची हो सकती है किन्तु यह सही नहीं है क्योंकि प्रदर्शन वास्तविकता को किसी भी हाल में नहीं बदल सकता। हमें यह खुद से समझना होगा की केवल अधिक पैसा बर्बाद करके कोई खुद को अधिक अमीर या अच्छा नहीं दिखा सकता। प्रदर्शन केवल एक दिखावा मात्र होता है इंसान की अच्छाइयां उसके व्यव्हार तथा अच्छे चरित्र से जनि जाती है।  

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