BARGAINING
सौदेबाजी : एक अनोखा अधिकार
हमारे देश भारत में सौदेबाजी (BARGAINING) मनो एक रिवाज की तरह होती है जिसे हम हर हाल में निभाना चाहते है या करते है। जब भी कोई व्यक्ति हो या ओरत कोई सामान खरीदने जाते है तो उस खरिदी जाने वाली वस्तु के मूल्य पर हमेशा एक मीठी बहस अवश्य करते है जिसे हम आम भाषा में बार्गेनिंग या सौदेबाजी करना कहते है। सौदेबाजी करना कोई बुरी बात नहीं होती फिर भी कुछ लोग इतना अधिक सौदेबाजी करते है की जैसे वो कुछ खरीदने नहीं बल्कि सिर्फ बहस करने आये हो। कई बार तो कुछ लोग इतना अधिक बहस करते है की उन्हें पता ही नहीं होता की जिस मूल्य पर वे उस वस्तु को क्रय करना चाहते है वह मूल्य उस वस्तु के लागत मूल्य से भी कम है भला फिर कोई कैसे उन्हें कोई सामान बेचे की जिससे उनकी लागत ही पूरी न होती हो।
कहते है की सौदेबाजी (BARGAINING) करना भी एक कला मानी जाती है क्योंकि हर व्यक्ति या ओरत में यह कला नहीं होती। चाहे कोई कितना भी अमीर या धनवान क्यों न हो फिर भी वह खरीदारी करते समय उत्पाद के मूल्य पर मोल -भाव जरूर करता है ताकि बताए गए मूल्य से कम पर उस वस्तु को खरीद सके। और हमारे देश में तो जैसे सौदेबाजी करना एक जन्मसिद्ध अधिकार की तरह लगता है। इसका मतलब यह है की दुकानदार कितना भी सही दाम बताए लेकिन हम उससे कम दाम में ही क्रय करेंगे। ऐसा माना जाता है की इस कार्य में महिलाए पुरुषों से कही ज्यादा सौदेबाजी कर सकती है। इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता की आप सामान कहाँ से खरीद रहे है चाहे आप अपने घर के सामने रेहड़ी वाले से या शहरो में जाकर किसी शॉपिंग माल से सामान खरीद रहे हो आपको सौदेबाजी (BARGAINING) जरूर करनी है।
वैसे हर कोई अपने पैसे की बचत करना चाहता है कारण वह हर छोटी से छोटी और से बड़ी वस्तु क्रय करते समय सौदेबाजी जरूर करता है चाहे वह कोई महँगी वस्तु जैसे ,कार , A. c ,फ्रिज ,या t .v हो या चाहे कोई सस्ती भाजी तरकारी हो हमें सौदेबाजी (BARGAINING) करने से नहीं रोक सकती।
अगर हम इसे हास्यात्मक रूप से समझे तो सौदेबाजी (BARGAINING) का अर्थ है की दुकानदार के द्वारा बताए गए मूल्य से कम पर खरीदना। पुराना समय हो या आज का आधुनिक युग हो लेकिन सौदेबाजी एक निरंतर प्रक्रिया है जो प्रायः हर जगह हर रोज होती रहती है।
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